शादी में हल्दी की रस्म पर बना यह गीत बिहार ही नहीं, देशभर में खूब लोकप्रिय है. शारदा सिन्हा की आवाज में गाया हुआ यह गीत शादी वाले हर घर में आपको जरूर सुनाई दें जाएगा. इस गीत की पॉपुलैरिटी ऐसी है कि इसके बजने से ही लोगों को पता चल जाता है कि कहां किसके घर में शादी होने वाली है.
विवाह के सात फेरों पर लिखी गई यह गीत फिल्म ‘नदिया के पार'(1982) में फिल्माई गई थी. हेमलता की आवाज में चार दशक पहले यह गीत गाय गए थे. यह आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना अपने रिलीज के समय था. लोगों में इस गीत का अलग ही क्रेज देखने को मिलता है.
‘धीरे-धीरे हो भैसुर धीरे-धीरे’.. विवाह गीत मड़वा पर लिखा गया है. बता दें कि मड़वा पर दुल्हन के ससुराल पक्ष से जो उपहार आते हैं, उन्हीं के बारे में यह गीत है.

‘कहवां के पियर माटी कहवां के कुदार हे’. यह गीत विवाह के मटकोड़ विधि पर लिखा गया है. मिट्टी कोड़ने की रस्म पर आधारित यह गीत हर शादियों की पहचान है.
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