बिहार में नयी सरकार के शपथ ग्रहण के 6 दिन बाद मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हुआ. विभागों के बंटवारे से पहले तरह तरह की चर्चायें हो रही थीं. कहा जा रहा था कि बीजेपी इस दफे गृह विभाग लेने पर अड़ी है. लेकिन जब विभागों के बंटवारे की लिस्ट आय़ी तो सारे कयास हवा हो गये. विभागों के बंटवारे के बाद मैसेज यही गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार के सामने नतमस्तक हो गयी है. वैसे सरकार बनने के बाद विभागों के बंटवारे का एक सामान्य फामूर्ला ये आ रहा था कि जो विभाग पहले राजद के पास थे, उसे बीजेपी को सौंप दिया जाये. कमोबेश ऐसा ही हुआ दिखता है, लेकिन जेडीयू ने ऐसे कई बड़े औऱ अहम विभाग बीजेपी को न देकर अपने पास रख लिये हैं, जो पहले राजद के पास हुआ करते थे.

तात्कालिक है बंटवारा, विस्तार बाकी है
वैसे हम ये भी बता दें कि विभागों का बंटवारा तात्कालिक है. अभी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. उसके बाद विभागों का सही से बंटवारा होगा. लेकिन इस बंटवारे का फ्रार्मूला तय हो गया है. अगर बीजेपी के नये मंत्री बनेंगे तो उन्हें वही विभाग मिलेंगे जो अभी बीजेपी के हिस्से गये हैं. जेडीयू के मंत्रियों को वही विभाग मिलेंगे जो अभी जेडीयू के मंत्रियों को दिया गया है.
गृह औऱ सामान्य प्रशासन विभाग पर कोई समझौता नहीं
बता दें कि गृह विभाग से बिहार का पुलिस तंत्र संचालित होता है. 2005 में जब से नीतीश मुख्यमंत्री बने तब से ही ये विभाग उनके पास है. इस दफे भी नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास रखा है. दूसरा अहम विभाग सामान्य प्रशासन विभाग है. इसी विभाग से आईएएस अधिकारी से लेकर बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों नियंत्रित होते हैं. यानि जिले में एसडीएम से लेकर डीएम, कमिश्वर और विभागों के सचिव, प्रधान सचिव, अपर मुख्य सचिव और मुख्य सचिव की पोस्टिंग इसी विभाग के जरिये होती थी. बीजेपी समर्थकों को उम्मीद थी कि कम ये कम ये विभाग तो उन्हें मिलेगा. लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग भी नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है.

कई अहम विभाग जेडीयू ने छीना
जेडीयू-राजद और कांग्रेस की पिछली सरकार में राजद के हिस्से में कई अहम विभाग थे,जेडीयू ने इस दफे उन विभागों को बीजेपी को नहीं दिया है. बिहार सरकार में सबसे बड़ा बजट शिक्षा विभाग का होता है. पहले ये विभाग राजद के पास हुआ करता था, जिसके मंत्री चंद्रशेखर औऱ बाद में आलोक मेहता बने थे. इस दफे शिक्षा विभाग पर जेडीयू ने कब्जा जमाया है औऱ विजय चौधरी के पास ये विभाग गया है.
सबसे बुरी स्थिति जीतन राम मांझी की हुई है. जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के लिए दो मंत्री पद मांग रहे थे. मंत्रिमंडल में उनके बेटे संतोष कुमार सुमन को जगह मिली है. उन्हें आईटी विभाग और अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग थमा दिया गया है. बिहार में आईटी में कितना काम है ये सब जानते हैं. अनुसूचित जाति औऱ जनजाति कल्याण विभाग में मंत्री क्या कर सकता है, ये भी सर्वविदित है. जीतन राम मांझी एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाने पर आपत्ति जता रहे थे. निर्दलीय विधायक होकर भी मंत्री बने सुमित कुमार सिंह को साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसा अहम और मलाईदार विभाग दिया गया है. जाहिर है मांझी के बोलने का कोई असर नहीं हुआ.