बिहार में 28 जनवरी 2024 को सुबह 11:00 बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया और उसी शाम फिर नए सीएम के रूप में उन्होंने शपथ भी ली। पहले वह महागठबंधन सरकार के मुखिया थे और अब वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के सर्वेसर्वा हैं। नई सरकार के बहुमत हासिल करने के बाद अब फैसलों की घड़ी आ गई है। फैसले के तहत राज्य की नई सरकार ने पिछली सरकार के मंत्रियों के फैसलों की समीक्षा का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत राष्ट्रीय जनता दल कोटा के मंत्रियों के विभागों में लिए गए फैसलों की मुख्य रूप से समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के बाद देखा जाएगा कि उनमें किसे रद्द करना है या किसे किस तरह से संशोधित कर काम चलाया जा सकता है।

विभागों और ट्रांसफर पोस्टिंग की हो सकती है समीक्षा
राष्ट्रीय जनता दल के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में कई ऐसे विभाग थे, जो काफी विवादास्पद रहे। उन विभागों में कृषि विभाग, शिक्षा विभाग थे सहित कुछ अन्य विभाग रहे थे, जिनकी अब समीक्षा की जा सकती है। इसके अलावे कई ट्रांसफर पोस्टिंग भी किए गये थे, जिनकी समीक्षा की जा सकती है।
जानिए कृषि मंत्री क्यों रहे थे विवादित
तत्कालीन सरकार में बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह थे, जो अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे थे। सुधाकर सिंह ने कैमूर में एक सभा में कहा था कि कृषि विभाग में कई चोर हैं और वह चोरों के सरदार हैं। उनके ऊपर भी कई चोर हैं। सुधाकर सिंह के इस बयान पर खूब विवाद हुआ। इसके बाद कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुधाकर सिंह को टोका और कहा कि सार्वजनिक रूप से बयान देने में उन्हें सावधानी और संयम रखना चाहिए। इस पर सुधाकर सिंह ने कहा था कि वह अपने बयान पर कायम हैं और अगर चाहे तो वह उनसे इस्तीफ़ा दे सकते हैं।

शिक्षा मंत्री भी रहे थे विवादित
रामायण में कचरा है, उसे हटाना होगा। हिन्दी दिवस के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर ने कहा था कि रामचरितमानस में पोटैशियम साइनाइड है। शिक्षा मंत्री ने कहा था कि इसे खत्म कर देना चाहिए। प्रो. चंद्रशेखर के इस विवादित बयान के बाद उनका जमकर विरोध हुआ था। सीतामढ़ी जिले के गोयनका कॉलेज में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचने पर उनको काला झंडा दिखाकर विरोध जताया था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा था कि सनातन धर्म को लेकर अनर्गल बयान देने के कारण शिक्षा मंत्री का विरोध किया गया है।