बिहार कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि वह नामांकन वापस कर लें अन्यथा पार्टी कार्रवाई करेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पप्पू यादव कांग्रेस के सदस्य हैं ही नहीं। इसका जवाब देते हुए पप्पू यादव ने कहा कि मैं कांग्रेस का सदस्य हूं या नहीं यह तो दिल्ली को पता है। मैं कांग्रेसी सिपाही हूं और रहूँगा। हमारे दिल-दिमाग में राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी हैं, उसे कोई नहीं हटा सकता। इन सब के बीच कांग्रेस नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने निर्दलीय उम्मीदवारी से नाम वापस नहीं लिया और पूर्णिया लोक सभा क्षेत्र संख्या 12 से अंततः जमे रहे। अब जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने भी निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव को कैंचीचुनाव चिह्न आवंटित कर दिया है। पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में किस्मत आजमा रहे सभी सात अन्य प्रत्याशियों को भी बुधवार को जिला निर्वाचन पदाधिकारी कुंदन कुमार ने निर्वाचन आयोग के अनुमोदन के बाद चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया है। इसमें एनडीए से जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को पार्टी का सिंबल तीर छाप, राजद प्रत्याशी बीमा भारती को पार्टी का सिंबल लालटेन छाप आवंटित किया है।

पप्पू यादव ने नामांकन नहीं लिया वापस
निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को कैंची छाप चुनाव चिन्ह मिला है। चुनाव चिन्ह मिलते ही प्रत्याशियों की ओर से जन सम्पर्क अभियान तेज कर दिया गया है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद जिले में चुनाव प्रचार में भी तेजी आ गई है। दूसरे चरण के लोक सभा चुनाव के तहत पूर्णिया लोक सभा क्षेत्र में 26 अप्रैल को मतदान होगा। वहीं जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार बताया कि पूर्णिया लोक सभा क्षेत्र 12 का द्वितीय चरण में मतदान की तिथि 26 अप्रैल को निर्धारित है। चुनाव आयोग द्वारा पूर्व से निर्धारित तिथि के अनुसार 8 अप्रैल को अपराह्न 3:00 बजे तक नाम निर्देशन वापसी की अंतिम तिथि थी लेकिन किसी भी अभ्यर्थियों ने नाम वापस नहीं लिया। निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी 07 रहे, जिनके बीच प्रतीक आवंटन किया गया है।

जाप में भी मिला था कैंची छाप
पप्पू यादव को चुनाव चिह्न कैंची छाप मिलने से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन और पप्पू यादव का पूर्व में जन अधिकार पार्टी था, जिसका चुनाव चिह्न कैंची छाप ही था। चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी का विलय एक माह पूर्व कांग्रेस पार्टी से कर दिया था। कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण अंत में पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की और अब वह चुनावी मैदान में हैं।


