पावर स्टार पवन सिंह की हार पर क्या बोली काराकाट की जनता, जानें

काराकाट : लोकसभा 2024 के चुनाव में बिहार की काराकाट सीट बहुत चर्चा में रही. क्योंकि यहां से चुनावी रण में भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह निर्दलीय उतरे थे. अब चुनाव समाप्त हो गया और मतगणना भी हो गई है. भोजपुरी पावर स्टार कहे जाने वाले पवन सिंह 1 लाख वोट से हार चुके है. पवन सिंह के चुनाव लड़ने से एनडीए को काफी नुकसान झेलना पड़ा. एनडीए को काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा वहीं, दूसरी तरफ आरा, बक्सर, रोहतास और औरंगाबाद सीट भी हारी है. इन सभी सीटों पर हार का कारण पवन सिंह को ही माना जा रहा है.

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पवन सिंह के प्रचार के दौरान उनकी रैलियों में भीड़ तो खूब जुटी लेकिन लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया. बिहार की काराकाट सीट से पवन सिंह हार गए हैं. भोजपुरी सिंगर और एक्टर को सीपीआई के राजा राम सिंह से शिकस्त मिली है. चलिए यहां जानते हैं कि पवन सिंह की हार की 5 बड़ी वजहें कौन सी रही हैं.

  • लोकसभा चुनाव 2024 में पवन सिंह ने बिहार के काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस दौरान काराकाट के इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजा राम सिंह और एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा मैदान में थे. पवन सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एनडीए गठबंधन के वोट में सेंध लगाने में कामयाब तो जरूर रहे लेकिन महागठबंधन के वोट बैंक से इनको ज्यादा कुछ नहीं मिला. जिसके वजह से पवन सिंह को हार का मुह देखना पड़ा.
  • पिछड़ी जातियों ने नहीं दिया पवन सिंह का साथ- बता दें कि पवन सिंह राजपूत हैं और उन्हें अपनी सीट पर पिछड़ी जातियों का वोट नहीं मिला. पवन सिंह काराकाट सीट पर दूसरे नंबर पर रहे. 2 लाख 74 हजार से ज्यादा वोट पवन सिंह को मिले लेकिन तब भी एक लाख वोट से हार गए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनको पिछड़ी जातियों का साथ नहीं मिला.
  • निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा भारी- पवन सिंह के पिछडने की तीसरी वजह उनके निर्दलीय चुनाव लड़ना रही. बता दें कि बीजेपी से बाहर किए जाने के बाद पवन सिंह ने काराकाट सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इलाके की जनता इस वजह से भी भोजपुरी स्टार पर भरोसा नहीं जता पाई. जानकार बताते हैं कि सिंबल बहुत ज्यादा मायने रखता है जो कि पवन सिंह के पास नहीं था.
  • प्रचार में जुटी भीड़ नहीं आई काम- पवन सिंह के पिछड़ने की एक वजह ये भी रही कि उनकी चुनावी रैलियों में भीड़ तो भारी जुटी थी लेकिन उनका स्टारडम चुनावी मैदान में काम नहीं आया. जहां भी वे भी गए वहां भीड़ देखकर यही लगा कि चुनावों में उनके पक्ष में माहौल है लेकिन उस भीड़ को वो वोट में नहीं बदल पाए. युवा और महिला वर्ग का साथ मिला लेकिन क्षेत्र के अधेड़ और बुजुर्गों ने साफ नकार दिया.
  • राजनीतिक अनुभव की कमी और मजबूत कार्यकर्ता की कमी भी पवन सिंह के हार की वजह बनी. आरा के राजनीतिक अनुभवी युवा रौनक सिंह ने बताया कि गायक, अभिनेता और राजनेता में जमीन आसमान का अंतर होता है. ये गायक हो सकते है अभिनेता हो सकते है लेकिन राजनेता के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है. आप ने जमीन पर कोई काम किए नहीं, आपके पास पार्टी का सिंबल है नहीं, कैसे कोई आप पर भरोसा करेगा. पवन सिंह के चुनावी मैदान में फ्लॉप होने की पांचवी वजह राजनीतिक अनुभव भी रहा.

हार स्वीकार करते हुए पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘हार तो क्षणिक है हौसला निरंतर रहना चाहिए हम तो वो है वैसे लोगों में है जो विजय पर गर्व नहीं करते और हार पर खेद और शोक नहीं करते. खुशी और गर्व इस बात का है कि काराकाट की जनता ने मुझे अपना बेटा-भाई स्वीकार कर इतना प्यार दुलार और आशीर्वाद जो दिया उसके लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद.’

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