पीएम उषा अभियान के तहत बिहार को 600 करोड़ रुपए देगी मोदी सरकार

प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान (पीएम उषा) को बिहार में लागू करने के प्रस्ताव को नीतीश कुमार कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही राज्य को उच्च शिक्षा के विकास में केंद्र से अगले दो सालों में 600 करोड़ रुपए मिलने का रास्ता साफ हो गया है। पीएम उषा को राष्ट्रीय स्तर पर जून, 2023 में ही शुरू किया गया था लेकिन इसे बिहार में अब स्वीकृति मिली है। पीएम उषा के तहत राज्य के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में आधारभूत संरचना, शिक्षण व्यवस्था, शोध, प्रशिक्षण आदि के विकास के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। इसके तहत खर्च की राशि में केंद्र और राज्य का हिस्सा 60 और 40 फीसदी के अनुपात में होगा।

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पीएम उषा के तहत राज्य सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों को लागू करना है। उच्च शिक्षा के संस्थानों में आधारभूत संरचना के विकास, परीक्षा प्रणाली में सुधार आदि पीएम उषा के मुख्य उद्देश्य हैं। राज्यों में रोजगार क्षमता बढ़ाना भी इस अभियान का मकसद है। उच्च शिक्षा के विकास के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) को नये रूप में जून, 2023 में पीएम उषा के नाम से लागू किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत रूसा की जगह पीएम उषा लागू हुआ है। अभियान के लिए राज्यों में राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन किया गया है। परिषद के माध्यम से रूसा के तहत राज्यों को आर्थिक मदद मिल रही थी। रूसा का दूसरा चरण 2018 में लागू हुआ। इन दोनों चरणों में मिलने वाली राशि में बिहार का 62 करोड़ का हिस्सा बकाया है। उषा कार्यक्रम लागू नहीं होने के कारण यह बकाया राशि केंद्र से नहीं मिल रही थी।

बिहार सरकार अब बकाया राशि की मांग राज्य उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से करेगी। पीएम उषा विभिन्न राज्यों में वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही लागू हो गया था। बिहार में यह देरी से इस साल लागू हो रहा है। योजना के तहत बिहार के 19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद मिलेगी। पीएम उषा के तहत बिहार के 19 जिलों के कॉलेजों को मदद का प्रस्ताव है। इन जिलों में मधेपुरा, गया, किशनगंज, पूर्णियां, जमुई, औरंगाबाद, मुंगेर, लखीसराय, खगड़िया, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल और अररिया शामिल हैं।

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