बांग्लादेश संकट से बिहार का व्यापार हुआ प्रभावित, बाजार को लगा 1000 करोड़ का घाटा

पटना: बांग्लादेश राजनीतिक संकट की स्थिति से बिहार के लोगों को भी काफी नुक्सान है. सासाराम के व्यावसायी संजय शाह की नींद हराम हो गई है. बांग्लादेश की संकट ने संजय शाह के सामने भी संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है और इन्हें करोड़ के नुकसान का भय सताने लगा है दरअसल संजय शाह करोड़ों के धान और गेहूं हर साल बांग्लादेश भेजते थे, लेकिन अब उनके व्यवसाय पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

अटक गया व्यापार

दरअसल, बांग्लादेश की सीमा से लगा होने की वजह से बिहार आवश्यक वस्तुओं का निर्यातक है. बांग्लादेश के साथ बिहार का व्यवसायिक रिश्ता है, खासतौर पर शाहाबाद क्षेत्र से. बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री बिहार से बांग्लादेश भेजी जाती है जिसमें चाय, चावल, गेहूं, दाल, प्याज, आलू, मछली और जूट हैं. इससे बिहार के किसानों की मोटी कमाई भी होती है. लेकिन बांंग्लादेश संकट की वजह से सबकुछ रास्ते में अटक गया.

बांग्लादेश संकट का बिहार पर असर

ये घाटा दोहरे स्तर पर हो रहा है. अगर जल्द ही ये न रुका तो नुकसान बड़ा होगा. एक अनुमान के मुताबिक अभी जो हालात बने हैं उससे बिहार को लगभग 1000 करोड़ की चपत लग चुकी है. ये वो वस्तुएं हैं जिनका सीधा संबंध बिहार के किसानों से है.

अगर ये लंबा खिंचा तो रेडिमेड कपड़ा उद्योग, चावल और गेहूं समेत जरूरी वस्तुओं को खपाने के लिए किसानों को औने-पौने दाम में निकालना मजबूरी हो जाएगी. चिंता उनकी ये है कि जो माल रास्ते में है और भेजा जा चुका है उसका पेमेंट उन्हें कैसे मिले?

बिहार का शाहाबाद क्षेत्र प्रभावित 

एक अनुमान के मुताबिक शाहाबाद क्षेत्र से कुल 400 करोड़ का व्यवसाय बांग्लादेश के साथ होता है. 25 लाख टन से अधिक चावल रोहतास इलाके से बांग्लादेश भेजे जाते हैं, तो 20 लाख टन के आसपास गेहूं भी बांग्लादेश निर्यात किया जाता है. इसके अलावा रोहतास इलाके से सिलबट्टा भी भेजा जाता था. रोहतास इलाके को बिहार का धान का कटोरा कहा जाता है. बड़े पैमाने पर धान की पैदावार होने के चलते रोहतास जिले में राइस ब्रान भी बहुतायत मात्रा में पाया जाता है.

ऱाइस ब्रान ऑयल का बिजनस भी ठप

राइस ब्रेन से तेल निकाला जाता है और तेल भी बांग्लादेश भेजा जाता था. लेकिन हाल के कुछ वर्षों से राइस ब्रान रॉ मटेरियल के रूप में बांग्लादेश भेज दिया जाता है. वहीं तेल निकाला जाता है. राइस ब्रान ऑयल की डिमांड बांग्लादेश में काफी है. ₹36 किलो के हिसाब से राइस ब्रान किसान बांग्लादेश को बेचते हैं. 50 करोड़ से अधिक के राइस ब्रान बांग्लादेश हर साल भेजे जाते हैं. राजनीतिक संकट के बाद एक तरीके से व्यवसाय पर ब्रेक लग गया है. रोहतास जिले से ट्रेन की रैक जाने का सिलसिला भी थम गया है.

किशनगंज से जूट भेजा जाता है बांग्लादेश 

बिहार के किशनगंज जिले से 35 किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सीमा लगती है और किशनगंज जिले के लोगों से बांग्लादेश के लोगों का जुड़ाव भी है. किशनगंज से बड़े पैमाने पर जूट बांग्लादेश भेजा जाता है, इसके अलावा सरसों तेल, मसाला, कपड़ा और सीमित मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामान भी बांग्लादेश भेजा जाता है. किशनगंज इलाके से चाय भी बांग्लादेश भेजी जाती थी. चाय के व्यवसाय में जुड़े लोग भी चिंतित हैं और उन्हें भी करोड़ों का नुकसान का डर सता रहा है.

चारा संकट भी बढ़ेगा

खाद के मामले में भी बांग्लादेश की निर्भरता बिहार पर है बांग्लादेश के किसान बिहार से खाद खरीद कर ले जाते हैं, जिससे कि उनकी पैदावार बेहतर होती है. इसके अलावा जानवर को खिलाने वाला चारा भी बिहार से जाता है. जानवर को खिलाने वाले चारा का व्यवसाय करोड़ों का है.

सिल्क उद्योग पर भी पड़ा है असर

सिल्क उद्योग से जुड़े व्यवसायी अलीम अंसारी ने कहा कि भागलपुर का रेशम और तसर कपड़े का बांग्लादेश में डिमांड था यहां से प्लेन कपड़े और रंगीन कपड़े बांग्लादेश भेजे जाते थे.

वहां पर पुरुषों के लिए कुर्ता और महिलाओं के लिए सूट बनाया जाता था. 25 करोड़ रुपए से अधिक का व्यवसाय बांग्लादेश का भागलपुर से होता था. संकट होने की स्थिति में व्यवसाय से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ गई है.

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