पटना से दिल्ली तक चलेगी पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, 8 घंटे में पूरा करेगी सफर

भारत में ट्रेन से हर दिन करोड़ों लोग सफर करते हैं। भारतीय रेलवे रोज हजारों  की तादात में ट्रेनें संचालित करती है। रेलवे के द्वारा यात्रियों को कम समय में उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कई एक्सप्रेस ट्रेनों का भी परिचालन किया जाता है।

यात्रियों के सहूलियत के लिए वंदे भारत ट्रेन का भी परिचालन हो रहा है। कई राज्यों को पीएम मोदी के द्वारा वंदे भारत ट्रेन की सौगात दी है। वहीं अब इंडियन रेलवे वंदे भारत चेयर कार के बाद वंदे भारत स्लीपर ट्रेन चलाने वाली है। स्लीपर ट्रेन की पहली जोड़ी रविवार को बनकर तैयारी हो गई।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार (1 सितंबर) को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के पहले मॉडल की झलक दिखाई। अगले 10 दिन में यह परीक्षण के लिए रवाना होगी। 3 महीने में यह ट्रेन आम लोगों के लिए चलने लगेगी। बता दें कि, बिहार में पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन पटना से दिल्ली के बीच चलेगी। ट्रेन 160 की प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। 16 कोच वाली यह ट्रेन 8 घंटे में पटना से दिल्ली पहुंचेगी। अभी इसके स्टॉपेज तय नहीं हुए हैं।

चेयर कार वाली वंदे भारत ट्रेन की तुलना में स्लीपर वंदे भारत में सीटें अधिक होंगी। चेयर कार में 8 कोच और 530 सीटें हैं। स्लीपर में 16 कोच और 823 बर्थ होंगे। रेल मंत्री ने बताया कि, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन मिडिल क्लास के लिए बनाई गई है। इस ट्रेन का किराया राजधानी ट्रेन के लगभग बराबर होगा। शुरू में इसे 800 से 1200 किमी की दूरी के लिए चलाया जाएगा। मकसद यह है कि रातभर की यात्रा के लिए यह ट्रेन लोगों की पहली पसंद बने। यात्रा के दौरान ट्रेन में बहुत कम कंपन होगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अगले 3 महीने यानी दिसंबर तक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन शुरू हो जाएगी। कोच की मैन्युफैक्चरिंग का काम पूरा हो गया है। अगले 2 महीने ट्रेन की टेस्टिंग चलेगी। इसके बाद यात्रियों के लिए ट्रेन की लॉन्चिंग होगी। रेल मंत्री ने कहा कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को 800 से 1200KM दूरी की यात्रा के लिए तैयार किया गया है। इसमें यात्री रात करीब 10 बजे चढ़ेंगे और सुबह डेस्टिनेशन पर पहुंच जाएंगे।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading