पूर्णिया: नवरात्रि व्रत के नौ दिनों के उपवास और पूजा के बाद दशमी तिथि को विजयादशमी के साथ इसका समापन होता है. इस बार की नवरात्रि के महाअष्टमी को लेकर भक्तों में थोड़ी असमंजस की स्थिति है, वहीं महिलाएं भी मां दुर्गा की खोइछा भरने को लेकर उत्साहित हैं. इस बार खोइछा भरने को लेकर महिलाओं में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

महाअष्टमी और नवमी का भ्रम
इस बार नवरात्रि का समापन 12 अक्टूबर को होगा. महाअष्टमी और नवमी की तिथियों के एक साथ आने से भक्तों में भ्रम की स्थिति बन गई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अष्टमी और नवमी व्रत इस बार 11 अक्टूबर को एक ही दिन पड़ रहे हैं. इसलिए, महिलाएं 11 अक्टूबर की शाम को मां दुर्गा की खोइछा भरेंगी.
खोइछा और कन्या पूजन
अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को सुबह 7:38 बजे शुरू होकर 11 अक्टूबर को सुबह 7:01 बजे समाप्त होगी, जिसके तुरंत बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. इस आधार पर, महिलाएं 11 अक्टूबर को खोइछा भर सकेंगी, और इसी दिन कन्या पूजन भी कराया जाएगा.

खोइछा भरना सनातनी परंपरा में शुभता का प्रतीक माना जाता है, और इसे विदाई के समय दिया जाता है, जो शुभता और कल्याण का प्रतीक है.

खोइछा भरने में आवश्यक सामग्री
खोइछा भरने के लिए महिलाएं विशेष सामग्री का उपयोग करती हैं. इसमें अरवा चावल, पांच सुपारी, पांच पान, श्रृंगार का सामान, हल्दी की गांठ, दूर्वा, पैसा, मिठाई, बताशा और वस्त्र जैसी चीजें शामिल होती हैं. ये सारी चीजें मां दुर्गा के खोइछा में डालकर नम आंखों से संसार के कल्याण की कामना की जाती है.



