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लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने अपने जीवन में कभी भी राज्यों या जिलों के बीच विभाजन या मतभेद नहीं किया। लेकिन उनके नाम पर बने जयप्रभा सेतु का विधिवत उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया है।

हालांकि पिछले 18 वर्षों से इस पुल पर वाहनों का परिचालन जारी है, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच इसे लेकर कोई औपचारिक सहमति नहीं बन पाई है।
यह पुल उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ता है और इसे हाजीपुर से गाजीपुर जाने वाले राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या-31 (एनएच-31) पर घाघरा नदी पर बनाया गया है।


स्थानीय नामकरण और पुल की अधूरी कहानी
जयप्रभा सेतु का निर्माण स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा किया गया नामकरण है। हालांकि, इस पुल का शिलान्यास कब और किसने किया, इस बारे में कोई शिलालेख या आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ग्रामीणों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने संयुक्त रूप से इसका शिलान्यास किया था।

इसके बावजूद, निर्माण कार्य में काफी देरी हुई और पुल निर्माण लंबे समय तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इसके निर्माण को पुनर्जीवित करने की दिशा में पहल की और इसे केंद्रीय पुल विभाग को सौंपा। अंततः 2005 में पुल का निर्माण पूरा हुआ, लेकिन इसके बावजूद उद्घाटन या लोकार्पण नहीं हो सका।

इसके बावजूद, 2006 से ही इस पुल पर वाहनों का परिचालन शुरू हो गया। तब से इसे बिना उद्घाटन के ही दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण संचार मार्ग के रूप में उपयोग किया जा रहा है।


