भूलकर भी ऐसा काम ना करें शिक्षक नहीं तो दूसरे जिले में हो जाएगा तबादला, नीतीश सरकार का सख्त निर्देश

पटनाः बिहार सरकार ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक संशोधन नियमावली को मंजूर दे दी है. इसके तहत सक्षमता परीक्षा पास करने के लिए नियोजित शिक्षकों को अब पांच अवसर मिलेंगे. इससे पहले अब तक तीन बार का प्रावधान था. इतना ही नहीं जो सक्षमता पास पर विशिष्ट शिक्षक बनेंगे, वह जहां काम कर रहे हैं, वहीं पढ़ाएंगे, उनका नया जगह ट्रांसफर नहीं होगा. उसी विद्यालय में ही नया वेतनमान का लाभ लेंगे. सीएम ने सक्षमता प्रथम के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति पत्र वितरण में यह घोषणा की थी.

गलती करने वालों पर कार्रवाई

बिहार शिक्षक नियमावली के तहत अब ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी जो गलती करेंगे. जो शिक्षक स्कूल में नहीं पढ़ाते हुए मिलेंगे या स्कूल का माहौल बिगड़ने अथवा लोकल पॉलिटिक्स में शामिल होने का काम करेंगे, ऐसे शिक्षकों का तबादला कर दिया जाएगा. विभाग शिक्षकों को तीन दिन का शो कॉज नोटिस जारी करेगा. डीएम आरोप की जांच करेंगे. दोषी पाए जाने पर जिले के अंदर या डीएम की अनुशंसा पर जिले के बाहर ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

नई नियमावली में डीएम को पावर

बिहार शिक्षक मंच के अध्यक्ष सौरभ कुमार का कहना है कि इस नई संशोधन नियमावली में डीएम को अधिक पावर दी गई है. नियमावली में लघु दंड के रूप में शिक्षकों का जिला में अथवा जिला के बाहर ट्रांसफर का प्रावधान जोड़ा गया है. यह ट्रांसफर करने का अधिकार भी डीएम को दिया गया है. इसके अलावा बड़ी दंड में निलंबन और बर्खास्तगी का भी प्रावधान है. बीते दिनों बिहार में दो शिक्षक लोकल पॉलिटिक्स के आरोप में बर्खास्त हुए हैं. इसमें बंशीधर बृजवासी (वर्तमान में MLC चुनाव जीते) और अमित विक्रम शामिल हैं.

नहीं देना होगा त्यागपत्र

सौरभ कुमार ने कहा कि नियमावली में नयी बात जोड़ी गयी है. कोई महिला शिक्षक किसी पुरुष शिक्षक पर कोई आरोप लगाती है तो उस शिक्षक पर तीन दिनों के भीतर कार्रवाई होगी. पुरुष शिक्षक को कहीं दूर पोस्टिंग होगी. 3 दिन के भीतर जांच कराने का भी प्रावधान है.

ट्यूशन नहीं पढ़ा पाएंगे शिक्षक

नियमावली में पहली बार यह जोड़ा गया है कि शिक्षक विद्यालय की सेवा के बाद वित्तीय लाभ के अन्य कोई काम नहीं करेंगे. यानी घर पर ट्यूशन नहीं पढ़ा सकते हैं. हालांकि इस नियमावली में एक बात अच्छी है कि नियोजित शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक के पद पर ज्वाइन करने के लिए त्यागपत्र नहीं देना है. इसके कारण कोर्ट से अथवा विभाग से लड़कर वह सेवा निरंतरता का लाभ ले सकते हैं.

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