आरएसएस संघ प्रमुख डॉ मोहन राव मधुकर भागवत पांच दिवसीय दौरे पर 6 मार्च बुधवार को बिहार के सुपौल आएंगे. वे सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. भागवत आरएसएस कार्यकर्ताओं और अन्य संगठनों के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

हिंदुत्व, शिक्षा और सामाजिक एकता पर चर्चा करेंगे. मगर, सियासी गलियारे में चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और आरएसएस ने बिहार पर फोकस बढ़ा दिया है. उनके आगमन को लेकर आरएसएस कार्यकर्ताओं में उत्साह है.

मोहन भागवत के दौरे को लेकर माहौल गर्म: दरअसल, यह दौरा बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हो रहा है. इसलिए इसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हाल ही में बिहार का दौरा कर चुके हैं, जिससे चुनावी माहौल और गर्म हो गया है.

छह मार्च को सुपौल पहुंचेंगे मोहन भागवत: मोहन भागवत का यह दौरा कई मायनों में खास है. यह पहला मौका होगा जब आरएसएस प्रमुख भारत-नेपाल सीमा पर किसी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. इसके मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. भागवत 6 मार्च को सुबह 11:30 बजे वीरपुर पहुंचेंगे और दोपहर 1 बजे से कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. अपना भाषण देने के बाद वे 2:30 बजे स्वयंसेवकों के साथ एक बैठक करेंगे.

पांच दिवसीय दौरे पर बिहार में आएंगे मोहन भागवत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन राव भागवत पांच दिवसीय प्रवास के लिए बिहार आएंगे. वे 5 मार्च को पटना पहुंचेंगे. यहां संघ के पूर्व विभाग संघचालक एवं विश्व संवाद केंद्र के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत श्रीप्रकाश नारायण सिंह के घर जाएंगे. उनके परिजनों से मिलकर रात्रि विश्राम मुजफ्फरपुर स्थित संघ कार्यालय में करेंगे.

ये है कार्यक्रम: दरअसल, 6 मार्च की सुबह वीरपुर से सुपौल के लिए प्रस्थान करेंगे. वहां विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के भवन का उद्घाटन करेंगे. 7,8 और 9 को मुजफ्फरपुर में कार्यकर्ताओं की बैठक में रहेंगे. 9 मार्च को नागपुर के लिए प्रस्थान करेंगे.

हिंदुत्व के सबसे बड़े चिंतक: विद्या भारती बिहार के क्षेत्र संगठन मंत्री ख्याली राम ने कहा कि मोहन भागवत का वीरपुर में आना हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है. उनके आगमन से हम सभी कार्यकर्ता जोरदार तैयारी कर रहे हैं. उनके आगमन से यह संदेश जाएगा कि हिंदुत्व के सबसे बड़े चिंतक और मार्गदर्शक हमारे बीच आ रहे हैं. सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह के आयोजनों से शिक्षा और राष्ट्र निर्माण का संदेश व्यापक रूप से पहुंचेगा.