नेपाल में बीते कई दिनों से उग्र होता ‘Gen-Z आंदोलन’ आखिरकार अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया। जनता के दबाव और लगातार बढ़ते प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया है।

सूत्रों के अनुसार, इस्तीफ़े से पहले ओली ने सेना और कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। आंदोलनकारियों ने राजधानी काठमांडू में उनके निजी आवास को घेर लिया था और कई सरकारी भवनों पर हमले किए गए। इसी दौरान सरकार की साख पूरी तरह डगमगा गई और ओली ने पद छोड़ने का एलान किया।

नेपाल में अब राजनीतिक अनिश्चितता का नया दौर शुरू हो गया है। गृह और कृषि विभाग के मंत्रियों के पहले ही इस्तीफ़ा देने से कैबिनेट बिखर चुकी थी, और अब प्रधानमंत्री का हटना इस संकट को और गहरा कर गया है।

विद्रोही जनआंदोलन में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। सरकार ने कर्फ्यू, राहत पैकेज और न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की है, लेकिन जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत, चीन और अमेरिका की निगाहें नेपाल के इस राजनीतिक संकट पर टिकी हुई हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि यदि जल्द ही कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, तो नेपाल में अस्थिरता और गहराने की आशंका है।


