

ऐसा है मां का स्वरूप : कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इनके अलावा हाथ में अमृत कलश भी हैर्। ंसह की सवारी करने वाली मां की भक्ति करने से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।
ऐसे करें पूजा : कूष्मांडा देवी योग और ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करने वाली देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए। माता कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे भक्तों की बुद्धि और कौशल का विकास होता है।