#BIHAR_FLOOD : बा’ढ़ की वजह से अब व्हाट्सअप पर मांगना पर रहा है सैनिटरी नैपकीन..

#PATNA #BIHAR #INDIA : राजेंद्रनगर की रहने वाली आकृति (बदला हुआ नाम) का घर अभी भी पानी से घिरा हुआ है। घर के चार फीट तक पानी है। सूखा कपड़ा और सैनिटरी नैपकीन भी डूब चुका है। अब आकृति को दो दिन पहले इसकी जरूरत पड़ी। आकृति व्हाट्सअप पर अपने कुछ दोस्तों को लिखा- घर के बाहर पानी जमा है, अचानक से मुझे सैनिटरी नैपकीन की जरूरत आ पड़ी है। क्या किसी तरह से आपमें से कोई एक पैकेट उपलब्ध करवा सकते हैं। आकृति के इस मैसेज के बाद उनके कई पहचान वाले सक्रिय हुए। पानी अधिक होने के कारण जाने में कठिनाई हो रही थी। लेकिन कई प्रयास के बाद बुधवार को आकृति को सैनिटरी नैपकीन मिला।

यह स्थिति कोई एक आकृति की नहीं बल्कि तमाम उन लड़कियों और महिलाओं की है जो पिछले एक सप्ताह से पानी से घिरे हुए है। वो घर से निकल नहीं सकते। फिलहाल उनके लिए इसे खरीदना संभव नहीं है। क्योंकि उनके घर के अंदर से लेकर बाहर तक पानी जमा है। सारे सामान के साथ सैनिटरी नैपकीन डूब गया। पाटलिपुत्र साईमंदिर के पास रहने वाली रोशनी गुप्ता ने बताया कि पिछले महीने ही खत्म हो गया था। स्टॉक में नहीं था। लेकिन अचानक से बारिश में घर में हम सब बंद हो गये। निकल नहीं सकतें है। छोटी बहन को जरूरत थी। मैने फेसबुक मैसेंजर से जाकर कुछ दोस्तों को बताया। इसके बाद उन लोगों ने सामाजिक संस्था से संपर्क कर पैकेट पहुंचाया।

पापा और भाई से कहने में शर्म आता है
मां नानी के यहां गयी हुई है। घर में पापा और दो भाई है। पानी में घर का सारा समान डूब गया। भूतनाथ रोड, हाउसिंग कोलोनी की रहने वाली आरूषी कुमारी ने बताया कि सैनिटरी नैपकीन की जरूरत थी। पापा और भाई से साझा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद मैने व्हाट्सअप पर अपनी कुछ दोस्तों से पहुंचाने का आग्रह किया। वहीं हाउसिंग कॉलोनी में ही रह रही रीना सिन्हा ने बताया कि दो पैकेट पैड मेरे पास रखें थे। लेकिन पानी में डूब गया। एक दिन तो सूखा कपड़ा से काम चलाया। लेकिन बुधवार को दो पैकेट एक सं स्था ने उपलब्ध करवाया तो काफी सुकुन मिला।


भोजन और पानी के साथ कई संस्था महिलाओं के इस जरूरत का भी ख्याल रख रहें है। पटना के रहने वाले निर्मल मिश्रा ने बताया कि पिछले दो दिन से जल जमाव वाले इलाके में सैनिटरी नैपकीन का वितरण किया जा रहा है। अभी तक साढ़े चार हजार सैनिटरी नैपकीन बांटा जा चुका हैं। हम किसी से पूछते नहीं है, बल्कि खुद ही हर घरों में इसे भेज रहे हैं। वहीं पाटलिपुत्र की रहने वाली मंजू सिन्हा ने बताया कि हर दिन पांच से छह कॉल सैनिटरी नैपकीन के लिए आ रहा हैं। कोई ना कोई उपाय कर जरूरतमंद तक सैनिटरी नैपकीन पहुंचाया जा रहा हैं।

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