#MUZAFFARPUR #BIHAR #INDIA: शनिवार को हसनचक बंगरा स्थित बारह मीनार मस्जिद में अंजुमन-ए-हाश्मिया क़दीमी की ओर से सालाना मजलिस-ए-अज़ा एवं जुलूसे अलम-ए-मुबारक़ का आयोजन किया गया। मजलिस को ख़िताब करते हुए कमरा मोहल्ला शिया जामा मस्जिद के इमाम एवं शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद मोहम्मद काज़िम शबीब ने कहा कि कर्बला की जंग मज़लूमों की हिमायत और ज़ु’ल्म के ख़िलाफ़ किया गया जिहाद था जिससे हमलोगों को सिख लेते हुए हज़रत इमाम हुसैन का नाम लेकर मज़लूमों की हिमायत और ज़ु’ल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठना चाहिए।

ज़ु’ल्म चाहे किसी भी मुल्क़ में हो किसी भी मज़हब के साथ हो हमें उस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ डट कर मुक़ाबला करते हुए बता देना चाहिए कि हम उस हुसैन-ए-मज़लूम के मानने वाले हैं जिन्होंनें अपना भरा घर लूटा दिया, अपना सर कटा दिया, अपने अज़ीज़ों-अंसार और अपने गोद के पालों की क़ुर्बानी दे दिया यहाँ तक कि अपने छः माह के नन्हे बेटे हज़रत अली असग़र तक कि क़ुर्बानी दे दिया मगर ज़ु’ल्म और ज़ालिमों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया और ना ही उनके आगे कभी घुटने टेकें।

हज़रत इमाम हुसैन के बड़े बेटे हज़रत इमाम सज्जाद और उनकी बहन जनाबे ज़ैनब की क़ायम की हुई यह जो मजलिसों-मातम और अज़ादारी आज हो रही है यह इस बात की गवाही देती है कि हज़रत इमाम हुसैन के द्वारा कर्बला में की गई जंग ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जिहाद था जो आज के ज़ालिमों और उनके ज़ुल्म के ख़िलाफ़ कभी भी ना मिटने और दबने वाली एक आवाज़ है जो आज से चौदह सौ साल पहले हज़रत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में ज़ालिम हाकिम यज़ीद और उसकी ज़ु’ल्म की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ उठाया था, यह मजलिसो-मातम और अज़ादारी आज के दौर के यज़ीदों और ज़ालिमों के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा है।

इसके साथ ही मौलाना ने अपनी तक़रीर में बिहार राज्य शिया वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन, पदाधिकारियों और भूमाफियाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि वक़्फ़ संपत्ति हज़रत इमाम हुसैन के अज़ादारी की ज़मीन है एवं समाज के ज़रूरतमंद बेवा, यतीम, शोषित और कमज़ोरों की संपत्ति है यह ज़मीन शाम-ए-ग़रीबा कि ज़मीन है इसपर बुरी नज़र रखने वालों की ज़िंदगी की शाम हो जाएगी।

मजलीस में निज़ामत मौलाना सैयद ताहिर हुसैन,
सोज़ख़्वानी जनाब शब्बीर इमाम गोपालपुरी(गोपालपुर,सिवान),
पेशख़्वानी (1)साहिल जाफ़री एवं (2)जनाब सैयद क़मर नक़वी ने किया
वहीं नौहाख़्वानी (1)अंजुमन-ए-हैदरी, मोहल्ला कमरा,
(2)अंजुमन-ए-जाफ़रिया रजि०, चंदवारा,
(3)अंजुमन-ए-शब्बीरिया, ब्रह्मपुरा, (4)अंजुमन-ए-जाफ़रिया ईरानी दस्ता, ब्रह्मपुरा (5)अंजुमन-ए-असग़रिया, मोहम्मदपुर-मुबारक़, (6)अंजुमन-ए-इमामिया, चैनपुर ने किया।

मजलिस के बाद ग़ाज़ी अब्बास-ए-ब-वफ़ा के अलम-ए-मुबारक़ का जुलूस बारह मीनार मस्जिद से बरामद होकर स्थानीय कर्बला में पहलाम किया गया रास्ते भर अंजुमनों ने नौहाख़्वानी और मातम किया।

