मेहनत कभी जाया नहीं जाती है और इसका परिणाम हमेशा सुखद होता है। मेहनत के आगे गरीबी कभी बा’धा नहीं आती है। कुछ ऐसी ही सफलता मिली है बिहार के छपरा में। लिट्टी-चोखा बेचकर माता-पिता ने जिस अरमान से अपने बेटे काे पढ़ाया-लिखाया, उसे बेटे ने पूरा कर दिखाया। छपरा के लाल कृष्ण कुमार ने अपने गांव-शहर का नाम रोशन किया। वह बीपीएससी में सफलता दर्ज कर डीएसपी बन गए। कृष्ण कुमार को बधाई देने लों का तां’ता लगा हुआ है। सगे-संबंधियों ने उनके माता-पिता को भी बधाई दे रहे हैं। माता-पिता अपने बेटे की सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। सफलता मिलने पर कृष्ण कुमार काफी खुश हैं और बताते हैं कि पिता ने संघर्ष कर हमें पढ़ाया है। परिणाम सुखद रहा। हमें सफलता मिली। उन्होंने बताया कि हालांकि पिछले साल 60-62 वीं बीपीएससी परीक्षा में राजस्व अधिकारी के रूप में मेरा चयन हुआ था। नौकरी ज्वाइन करने के बाद परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती मिली।उन्होंने बताया कि लेकिन राजस्व अधिकारी से हम संतुष्ट नहीं थे। इसलिए फिर से रैंक सुधारने के लिए एग्जाम दिया और इस बार मैं डीएसपी पद पर चयनित हुआ हूं। अब मैं आइएएस बनने के लिए अब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करूंगा। मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देता हूं। बता दें कि कृष्ण कुमार की स्कूली शिक्षा छपरा के ही बी. सेमिनरी में हुई, जबकि इंटर से पीजी तक की पढ़ाई उन्होंने राजेंद्र काॅलेज से की। बीपीएसी की तैयारी भी कृष्ण कुमार ने छपरा में ही रहकर की थी। उन्हें कोचिंग से ज्यादा सेल्फ सटडी पर भरोसा था अौर अभी भी है। दरअसल, छपरा के नई बाजार अस्पताल चौक पर रहते हैं मदन प्रसाद गुप्ता एवं उनकी पत्नी दुर्गावती देवी। मदन प्रसाद लिट्टी-चोखा बेचकर परिवार पालते हैं। गरीबी की जिंदगी में भी उन्होंने अपने बेटे कृष्ण कुमार की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी नहीं की। कृष्ण कुमार ने भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराया। इसका परिणाम सुखद रहा। बेटे ने बीपीएससी की 63 वीं परीक्षा में 86वीं रैंक लाकर अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया। वह डीएसपी बन गए।


