PATNA : दि’व्यांगजनों को नामांकन में 5 व सरकारी सेवाओं में 3 से बढ़ा कर 4 प्रतिशत आरक्षण- उपमुख्यमंत्री

#BIHAR #INDIA : बिहार नेत्रहीन परिषद द्वारा संचालित अन्तज्र्योति बालिका विद्यालय परिसर, कुम्हरार में आयोजित ‘लुई ब्रेल की 211 वीं स्मृति समापन समारोह’ को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य व केन्द्र सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन हेतु दिव्यांगजनों को 5 प्रतिशत आरक्षण तथा नौकरियों में 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। खुली प्रतियोगिता परीक्षाओं में उम्र में 10 वर्ष व सीमित में 5 वर्ष की छूट तथा परीक्षा शुल्क एससी/एसटी के समतुल्य कर दिया गया है। जिन सेवाओं में इन्हें आरक्षण देना संभव नहीं है,उतनी सीटें अन्य जगहों पर दिया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर के माध्यम से दिव्यांगजनों को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए परीक्षा में लिखने हेतु उनसे एक दर्जा नीचे के श्रुति लेखक का प्रावधान है जिसे प्रति पाली 100 रुपया देय है। साथ ही दिव्यांगों को परीक्षा अवधि में प्रतिघंटा 20 मिनट अतिरिक्त समय दिया जाता है। इसके अतिरिक्त दृष्टिबाधित को कंप्यूटर साक्षरता से भी विमुक्त किया गया है। राजकीय नेत्रहीन विद्यालय कदमकुंआ, दरभंगा और भागलपुर के पुराने भवनों की जगह नये भवन का निर्माण किया जाएगा। साथ ही वहां संविदा पर कार्यरत शिक्षकों व कर्मियों के मानदेय में 25 जून से बढ़ोतरी भी की गई है।

दधीचि देहदान समिति के चिकित्सकों ने नेत्रहीन अंतज्र्याेति बालिका विद्यालय, कुम्हरार के नेत्रहीन बच्चों की स्क्रीनिंग कर 4 बच्चों को चिन्हित किया है, जिसमें दो का नेत्र प्रत्यारोपन करना संभव है। इन्हें दृष्टि मिलना बड़ा सुखद होगा। बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में आई-बैंक स्थापित किया है। एनएमसीएच,पटना में एक-दो महीने में आई-बैंक प्रारंभ हो जाएगा। समाज के लोगों से आग्रह है कि मृत्योपरांत नेत्रदान का संकल्प लें, जिससे आपके जाने के पश्चात भी आपकी आंखों से किसी को जीवन ज्योति मिल सके।

ब्रेल लिपी की महत्ता को समझते हुए फ्रांस की सरकार ने लिपी के जनक लुई ब्रेल के शव को फ्रांस के गांव से निकालकर पेरिस में महान राजनेता, वैज्ञानिकों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समाधि के बीच पुनः स्थापित कर उन्हें सम्मान दिया। 3 वर्ष की आयु में एक और 5 वर्ष में दोनों आंखें खोने के बावजूद लुई ब्रेल ने अपने 43 वर्ष के अल्प जीवन में अगर ब्रेल लिपि का आविष्कार नहीं किया होता तो दृष्टिबाधितों का जीवन आज काफी मुश्किल होता।

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