चिराग का खुला पत्र: नीतीश का असल चेहरा BJP को दिखाया, चाचा पारस से लेकर प्रिंस तक को दिया जवाब

लोक जनशक्ति पार्टी में चल रहे सियासी घमासान के बीच एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज खुला पत्र लिखा है. चिराग पासवान अपनी पार्टी में टूट के बाद अब पहले से ज्यादा आक्रामक होते जा रहे हैं. चिराग पासवान ने खुला पत्र लिखते हुए बीजेपी को नीतीश कुमार का असल चेहरा दिखाने की कोशिश की है. चिराग ने बताया है कि कैसे नीतीश कुमार ने बीजेपी और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुहिम चलाई और फिर बाद में एनडीए में ही आकर मिल गए. नीतीश कुमार के भरोसे पर सवाल खड़ा करते हुए चिराग पासवान ने एक-एक बात का जिक्र अपने खुले पत्र में किया है.

इतना ही नहीं चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज को भी खुले पत्र के जरिए जवाब दिया है. चिराग पासवान ने कहा है कि चाचा मुझसे यह सवाल पूछ रहे हैं कि मैंने उन्हें बिहार के अध्यक्ष पद से क्यों हटाया गया. चिराग पासवान ने कहा कि जब पशुपति पारस को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया, उस वक्त लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान थे. चिराग ने कहा है कि मुझ में और प्रिंस में पापा ने कभी कोई फर्क नहीं समझा. पापा चाहते थे कि उनके रहते और चाचा जी के मार्गदर्शन में प्रिंस अपनी जिम्मेदारियों को समझ ले. इसीलिए उन्होंने चाचा की जगह प्रिंस को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया.

चिराग ने चार पन्ने का खुला पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि “कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में हम सभी ने कुछ ना कुछ खोया है. पिछले वर्ष 8 अक्टूबर 2020 को लोक जनशक्ति पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति का दिन था जब हम सबने हमारे नेता, हमारे आदर्श आदरणीय रामविलास पासवान जी को खोया था. यह एक ऐसा कठिन दौर था जब चुनाव सर पर थे, पर आप सबके आशीर्वाद से हम सबने मजबूती चुनाव लड़ा और 25 लाख वोट पाकर पार्टी ने एक नई ऊंचाई हासिल की 8 प्रतिशत का मत हम लोगों ने तब हासिल किया. जब हम लोग 135 सीटों पर चुनाव लड़े. यदि बची हुई 100 से अधिक सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ती तो यकीनन यह मत 10 प्रतिशत से अधिक होता.”

चिराग ने कहा कि “चुनाव अकेले लड़ने का फैसला ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि सैद्धांतिक तौर पर भी जरूरी था. जब एक तरफ गठबंधन में मात्र 15 सीटें पार्टी को लड़ने के लिए दी जा रही थी, जो कहीं से भी तार्किक नहीं था. तो वहीं दूसरी तरफ समझौता हमें एक ऐसे राजनीतिक दल से करना था जिनकी नीतियों का विरोध सदैव हमारे नेता रामविलास पासवान जी ने किया था. जनता दल यूनाइटेड ने हमेशा लोक जनशक्ति पार्टी को तोड़ने का काम किया. 2005 फरवरी के चुनाव में हमारे 29 विधायकों को तोड़ा गया और साथ ही साथ हमारे बिहार प्रदेश के अध्यक्ष को भी तोड़ने का काम किया गया. 2005 नवंबर में हुए चुनाव में सभी हमारे जीते हुए विधायकों को तोड़ने का काम जनता दल यूनाइटेड द्वारा किया गया. उसके बाद 2020 में जीते हुए एक विधायक को भी तोड़ने का काम इनके द्वारा किया गया और आज लोक जनशक्ति पार्टी के 5 सांसदों को तोड़ जनता दल (यूनाइटेड) में बांटों और शासन करो की रणनीति को दोहराया है.

चिराग आगे लिखते हैं की “हमारे नेता रामविलास पासवान जी के जीवनकाल में कई बार नीतीश कुमार द्वारा उनकी राजनीतिक हत्या का प्रयास किया गया, दलिया महादलित में इंटवारा करवाना उसी का एक उदाहरण है. रामविलास पासवान जी ने और मैंने दलित और महादलित समुदाय में कभी कोई अंतर नहीं समझा और सबको एकजुट कर अनुसूचित जाति के लोगों के लिए संघर्ष किया. पर नीतीश कुमार ने मुझे और मेरे पिता को अपमानित करने का और राजनीतिक तौर पर समाप्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा.”

चिराग ने कहा कि “इतना कुछ होने पर भी हमारे रामविलास पासवान जी नहीं झुके. पापा ने कभी भी नीतीश कुमार के साथ कोई समझौता नहीं किया. 2014 में हमारा गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के साथ था तब नीतीश कुमार जी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुए थे. 2017 में जब नीतीश कुमार वापस रातों रात एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने तो इससे पापा काफी विचलित थे और नीतीश कुमार के साथ काम करने में सहज नहीं थे. परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में विश्वास रखते हुए और गठबंधन की मर्यादा को निभाते हुए 2019 लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार के साथ लड़ने का फैसला लिया गया. लोकसभा के चुनाव में हमारे 6 सांसदों को हराने मे जनता दल यूनाइटेड के नेताओं में कोई कसर नहीं छोड़ी.”

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