जानें, कोरो’ना के खत’रनाक डेल्टा प्लस वैरिएंट से निप’टने के लिए क्या कर रही है सरकार?

 
 
NEW DELHI : कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए सरकार ज्यादा चौकन्नी हो रही है. मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाने और भीड़ न जमा होने पर लगातार जोर दिया जा रहा है. इस बीच मंगलवार 22 जून को सरकार ने कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर खतरे की घंटी बजा दी. सरकार ने डेल्टा प्लस वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ से निकालकर ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की कैटिगरी में डाल दिया. मतलब अब तक सरकार कोरोना के रूप पर नजर बनाए हुए थी, लेकिन अब यह खतरा बनता दिख रहा है. कोरोना के इस नए खतरे के बीच उम्मीद जताई जा रही है कि बच्चों के लिए सितंबर तक कोरोना वैक्सीन आ जाएगी.

खतरनाक डेल्टा प्लस वैरिएंट से निपटने की तैयारी शुरू

कोरोना की दूसरी लहर में भारत में कैसी तबाही मची, ये हम सबने देखी है. इस लहर के लिए ‘डेल्टा’ वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है. ‘डेल्टा प्लस’ इसी वैरिएंट का नया रूप है. एक्सपर्ट कह चुके हैं कि अगर भारत में कोरोना की तीसरी लहर आई तो इसके लिए डेल्टा प्लस वैरिएंट जिम्मेदार होगा. इसी को देखते हुए सरकार ने इस वैरिएंट को लेकर चेतावनी का लेवल बढ़ा दिया है. इंडिया टुडे की संवाददाता स्नेहा मोरदानी के मुताबिक, इस चेतावनी के पीछे अलग-अलग प्रदेशों से लिए गए 22 सैंपल के नतीजे बताए जा रहे हैं. ये सैंपल महाराष्ट्र के रत्नागिरी और जलगांव, केरल के पलक्कड और पाथनमथिट्टा, मध्यप्रदेश के भोपाल और शिवपुरी से लिए गए हैं. इनकी जांच के नतीजों के आधार पर केंद्र सरकार ने फौरन सख्त कदम उठाने को कहा है. इन इलाकों में भीड़ न लगने देने, लोगों को ज्यादा मिलने-जुलने पर पाबंदी लगाने, ज्यादा टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द वैक्सीन देने की हिदायत दी गई है. इन इलाकों से ज्यादा से ज्यादा सैंपल लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सरकार के कंसॉर्टियम INSACOG को भेजने को कहा गया है. INSACOG में देश की कई बड़ी लैब शामिल हैं, जो कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग करके पता लगती हैं कि वायरस किस तरह से रूप बदल रहा है. इन लैब्स में जांच के बाद सरकार जरूरी सलाह जारी करती है. जहां तक डेल्टा वायरस पर वैक्सीन के असर की बात है, तो हेल्थ सेक्रेटरी राजेश भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस में इसे लेकर सधा हुआ जवाब दिया. उनका कहना था कि
“मोटा-मोटी देखा जाए तो दोनों ही वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर प्रभावी हैं. हम जल्दी ही बताएंगे कि वैक्सीन ऐसे केसेज में किस मात्रा में एंटीबॉडी बनाती हैं.”

‘अगले 6-8 हफ्ते बहुत महत्वपूर्ण’

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी इंडिया टुडे से बातचीत में डेल्टा प्लस वैरिएंट को ‘बेहद संक्रामक’ बताया है. उनका कहना है कि
“ये इतना संक्रामक है कि अगर आप इस वैरिएंट से संक्रमित किसी कोरोना मरीज के बगल से बगैर मास्क के गुजरते हैं तो आप भी संक्रमित हो सकते हैं.”
केंद्र की कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख सदस्य डॉ. गुलेरिया का कहना है कि भारत में अभी इस वैरिएंट का प्रसार सीमित है, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है. डेल्टा प्लस समेत दूसरे वैरिएंट के मद्देनजर अगले 6 से 8 हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, उन्होंने भी माना कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड असरदार हैं. वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है.

बच्चों के लिए सितंबर तक वैक्सीन?

कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश के लिए एक राहत की खबर भी है. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इंडिया टुडे को बताया कि सितंबर तक 2 साल से ऊपर के बच्चों का टीकाकरण अभियान शुरू हो सकता है. उन्होंने कहा कि दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल पूरे होने के बाद, बच्चों के लिए कोवैक्सीन का डेटा सितंबर तक सामने आ जाएगा. उसी महीने इस वैक्सीन को बच्चों को लगाने के लिए मंजूरी मिल सकती है. एम्स डायरेक्टर ने यह भी कहा कि अगर भारत में फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को हरी झंडी मिल जाती है तो वह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकती है.

स्कूल खुलने पर क्या बोले डॉक्टर गुलेरिया?

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि नीति निर्माताओं को अब स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए. लेकिन स्कूल खोलते वक्त ये बात ध्यान रखी जाए कि कहीं वो कोरोना के सुपर स्प्रेडर न बन जाएं. डॉक्टर गुलेरिया का मानना है कि जिन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित नहीं किया गया है, वहां कोरोना नियमों का पालन करते हुए, अलग-अलग दिन स्कूल खोले जा सकते हैं. खुले मैदान में स्कूल खोलकर संक्रमण से बचा जा सकता है. हालांकि मॉनसून का मौसम होने से अभी खुले में पढ़ाई में बाधा आ सकती है. कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को लेकर अमेरिका ने भी गंभीर चिंता जताई है. अमेरिका के जाने-माने संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंटनी फाउची ने इसे कोरोना खत्म करने की अमेरिकी कोशिशों में सबसे बड़ी अड़चन बताया. उन्होंने कहा कि इसके फैलने की दर यकीनन बहुत ज्यादा है. साथ ही इससे बीमारी ज्यादा गंभीर भी हो सकती है. WHO भी डेल्टा वैरिएंट को दुनिया भर के लिए चिंता का विषय बता चुका है.
Input : The Lallan Top
 
                       

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