बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार की भ्र’ष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी रही है। भ्र’ष्टाचार के दाग जिन अफसरों पर लगे हैं उन सभी पर कार्रवाई हुई है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। भ्रष्टाचार के दाग अगर आईएएस अफसरों, आईपीएस अफसरों पर लगे हैं तो उनके खि’लाफ भी का’र्रवाई हुई है।

बीएसएससी पेपर लीक कांड हो या अवैध बालू उत्खनन का मामला, सभी में आईएएस (IAS) और आईपीएस अधिकारियों पर एक्शन हुआ है।हाल में बालू के अ’वैध खनन के मामले को लेकर राज्य के दो आईपीएस अफसरों और बिहार पुलिस के साथ ही प्रशासनिक सेवा संवर्ग के कई अ’धिकारियों के खि’लाफ कड़ी का’र्रवाई की गई है।

हाल के दिनों में एक आईएएस अफसर को विवाद में आने के बाद कैडर तक बदलना पड़ा है। इसी कड़ी में अब आगे एक और बड़ा मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार के आरोप में तीन आईएएस अफसरों पर मुकदमा चलाने की तैयारी मैं सरकार जुट गई है। बिहार महादलित विकास मिशन प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था।

इस घोटाले में तीन आईएएस अधिकारियों के खि’लाफ मु’कदमा चलाने के लिए बिहार सरकार ने भारत सरकार से स्वीकृति मांगी है। इसके लिए भ्र’ष्टाचार नि’रोधक अ’धिनियम के तहत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने निगरानी के विशेष न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को एक पत्र दाखिल किया है।

इस मामले में तीन आईएएस अधिकारी केपी रमैया, एसएम राजू और रामाशीष पासवान के नाम शामिल हैं. इस मामले में निगरानी द्वारा 30 अक्टूबर 2017 को केस दर्ज किया गया था।

अनुसंधान के दौरान निगरानी विभाग ने पाया कि बिहार महादलित विकास मिशन के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महादलित छात्रों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता बढ़ते हुए आ’रोपियों द्वारा करोड़ों रुपए का गबन किया गया था।

इस मा’मले को लेकर निगरानी विभाग ने पूर्व में इन तीनों आईएएस अधिकारियों समेत 10 आरोपियों के खि’लाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। आरोप पत्र के अलावा अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति पत्र नहीं लिया गया था।