चैत्र मास अपने शुक्ल पक्ष की ओर अग्रसर है और शक्तिपर्व रामजन्म के आनंदोत्सव के साथ पूर्णता भी प्राप्त करेगा।
चैत्र नवरात्र दो अप्रैल से लग रहा है, जो पूरे नौ दिन चलेगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक की अवधि शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की साधना-आराधना को समर्पित रहेगा।
इसे शास्त्रों में वासंतिक या चैत्र नवरात्र कहा गया है। ज्योतिष के अनुसार, इस बार कलश स्थापन के लिए मात्र 2.30 घंटे ही मिल रहे हैं।
प्रात: सूर्योदय के बाद 5.52 बजे से 8.22 बजे तक कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद वैधृति योग लग जा रहा है। इसमें घट स्थापन उचित नहीं है। सप्तमी युक्त अष्टमी महारात्रि में महानिशा पूजन आठ अप्रैल को किया जाएगा।
महाअष्टमी व्रत नौ को और रामनवमी व महानवमी व्रत के साथ नवरात्र का होम-हवनादि 10 अप्रैल को किया जाएगा। नौ दिवसीय नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल को किया जाएगा।
परम स्वाधीन होकर यही महाशक्ति काली का रूप भी धारण करती हैं। यह रूप भयंकर है, लेकिन इसका उद्देश्य नकारात्मक शक्तियों का संहार करना है, इसीलिए मां कालरात्रि अथवा काली का एक नाम शुभंकारी भी है। 