मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के डिग्री कालेजों में फ’र्जी तरीके से नामांकन लेने की प्रक्रिया रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। अब सत्र 2020-23 में दर्जन भर से अधिक संबद्ध डिग्री कालेजों में बिना मान्यता के ही 10 हजार से अधिक विद्यार्थियों का फर्जी नामांकन लेने का मामला सामने आया है।
30 मार्च से इस सत्र के विद्यार्थियों के फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद इन कालेजों के प्रतिनिधि विवि पहुंचने लगे। पदाधिकारियों के पास पैरवी कर रहे कि किसी तरह इन विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन कर पोर्टल पर नाम जोड़ दें ताकि परीक्षा फार्म भरा जा सके।
यूएमआइएस विभाग की ओर से इन कालेजों का प्रस्ताव लौटा दिया गया है। कहा गया कि जब मान्यता नहीं थी तो नामांकन कैसे ले लिया गया। बिना मान्यता वाले इन कालेजों को पोर्टल पर नहीं जोड़ा जा सकता। इसके पहले सत्र 2019-22 में भी विवि के डेढ़ दर्जन संबद्ध डिग्री कालेजों की ओर से बिना मान्यता के ही नामांकन लेने का मामला सामने आया था।
इस सत्र में 25 हजार विद्यार्थियों का नामांकन लिया गया था। मामला सामने आने के बाद कुलपति ने कमेटी गठित कर जांच कराई थी। इसमें सहायक कुलसचिव व कालेज प्रशासन दोनों स्तर पर गलती सामने आई थी, लेकिन विवि की ओर से दो’षियों के खि’लाफ का’र्रवाई नहीं की गई।
इसका नतीजा हुआ कि ऐसे कालेजों का मनोबल बढ़ गया। उसमें अगले सत्र में भी विद्यार्थियों का नामांकन ले लिया गया। कुलपति डा.हनुमान प्रसाद पांडेय ने कहा कि जिन कालेजों ने बिना मान्यता के नामांकन लिया है उनके खिलाफ अ’नुशासनात्मक का’र्रवाई करते हुए राजभवन को लिखा जाएगा। जब मान्यता नहीं थी और नामांकन की प्रक्रिया विवि स्तर पर हुई थी तो कालेजों को नामांकन नहीं लेना चाहिए था।

