मुजफ्फरपुर। एईएस की जांच के लिए खू’न व यूरिन के सैंपल अब पटना व बेंगलुरु नहीं भेजे जाएंगे। हर तरह की जांच की सुविधा एसकेएमसीएच में ही मिलेगी। इसके लिए यहां पीकू वार्ड में रिसर्च लैब खोली गई है। एसकेएमसीएच में अभी एक सौ बेड का पीकू वार्ड काम कर रहा है। अगर मरीज बढ़ेंगे तो 160 अतिरिक्त बेड पर इलाज सुविधा मिलने लगेगी।
एसकेएमसीएच के अधीक्षक डा. बीएस झा ने बताया कि गर्मी के साथ बच्चों पर कहर बनकर आने वाली एईएस से बचाव के लिए हर स्तर पर तैयारी चल रही है। अभी इलाज में जांच को लेकर परेशानी रहती थी। लेकिन इस बार यह चिंता नहीं है। एईएस की हर तरह की जांच यहीं होगी। पीकू वार्ड के चौथे तल पर यह सुविधा मिलेगी।
यहां आधुनिक मशीनों से जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके निर्माण में आठ करोड़ की लागत आई है। जांच के लिए चिकित्सक व तकनीशियन हैं। हर दिन 200 से 250 के बीच जांच की सुविधा होगी। एईएस के सथ डीएनए व आरटीपीसीआर जांच भी होगी। पीकू के पास 100 बेड का विशेष शिशु वार्ड बना है जिसमें अभी कैंसर मरीजों का इलाज चल रहा है।
इसके साथ 60 बेड का पुराने अस्पताल भवन में इंसेफलाइटिस वार्ड बना हुआ है। अगर एईएस के संभावित मरीज आएंगे तो पीकू के साथ 160 बेड का अलग से वार्ड काम करने लगेगा।अभी संभावित एईएस से प्रभावित तीन बच्चों का इलाज चल रहा है। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा. गोपालशंकर सहनी ने बताया कि पीकू के साथ रिसर्च लैब बनने से इलाज के साथ इस बीमारी के शोध में मदद मिलेगी।
अभी एईएस के कारण का पता नहीं चला है। इससे लक्षण के आधार पर इलाज चल रहा है, लेकिन इस बीमारी के कारण पता लगाने को लगातार शोध चल रहा है। सहनी ने बताया कि उन्होंने इसपर शोध किया है। जब गर्मी 37 से 40 डिग्री सेल्सियस पर रहती है तो इस बीमारी का खतरा रहता है।
