पटना। वैशाखी के साथ सिख नववर्ष शुरू हो रहा है। इसी तरह जुड़ शीतल बिहार और झारखंड में मैथिली नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। बीहू उत्तर-पूर्वी राज्यों में तो गुड़ी पाड़वा महाराष्ट्र में नववर्ष के रूप में मनाए जाते हैं। जमशेदी नवरोज पारसी नव वर्ष है तो उगादी दक्षिण भारत तथा पोहिला बैशाख पश्चिम बंगाल में नववर्ष के रूप में मनाए जाते हैं।
वैशाखी के साथ सिख नववर्ष शुरू होता है। खालसा कैलेंडर का निर्माण खलसा 1 वैसाख 1756 विक्रमी (30 मार्च 1699) के दिन से शुरू होता है। इस दिन पंजाब में परपरागत भांगड़ा और गिद्दा नृत्य किए जाते हैं। फिर शाम में लोग आग के आसपास इकट्ठे होकर नई फसल की खुशियां मनाते हैं।
अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है। लोग ‘गुरु के लंगर’ में शामिल होते हैं। इस दिन गुरु गोविन्द सिंह और पंच प्यारों के सम्मान में शबद-कीर्तन गाए जाते हैं।

बिहार की बात करें तो यहां जुड़ शीतल मैथिली नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसे सतुआनी भी कहते हैं। यह पारंपरिक तिरहुत पंचांग का पहला दिन होता है, जिसका अनुसरण मिथिला और नेपाल के मैथिली समुदाय के लोग करते हैं। इसे झारखंड में भी मनाया जाता है। इस दिन गुड़ और सत्तू के साथ ऋतु फल और जल से भरे घड़े का दान करने की परंपरा है। रबी फसल की कटाई की खुशी में किसान इसे बैसाखी के पर्व के रूप में मनाते हैं।
