हाजीपुर सदर अस्पताल में नवजात की मौ’त पर रविवार की दोपहर स्वजनों ने बच्चा बदलने का आ’रोप लगाकर जमकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंची नगर थाने की पुलिस ने हंगामे को शांत कराया। जानकारी के अनुसार राजापाकर थाने के चकसिकंदर बाकरपुर निवासी मो. मुर्तजा की पत्नी जर्जा खातुन को डिलीवरी के लिए गुरुवार को सदर अस्पताल लाया जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में ही डिलीवरी हो गई।

उनका कहना था कि महिला ने लड़के को जन्म दिया था। इलाज के लिए उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के दो रजिस्टर पर महिला का पूरा पता एवं अस्पताल में लड़का होने की बात लिखी गई है। अस्पताल में चार दिनों तक नवजात का इलाज चला। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।

कहते हैं कि महिला के स्वजनों को लड़के के बदले लड़की का शव दिया जा रहा था। इससे नाराज स्वजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया गया। इसकी सूचना पर नगर थाने की पुलिस पहुंच गई और समझा-बुझाकर लोगों को शांत कराया।

महिला के स्वजनों का कहना था कि यहां लाने के रास्ते में बच्चा जन्म लेने के बावजूद उसे अस्पताल में जन्म होने का रिकार्ड दर्ज कर लिया गया। रजिस्टर में लड़का होने की बात भी दर्ज की गई। इस दौरान जच्चा-बच्चा का चार दिनों तक यहां इलाज भी चला। उसके बाद रविवार को अस्पताल प्रशासन ने नवजात की मृत्यु होने की सूचना स्वजनों को दी। इतना ही नहीं उन्हें लड़का के बदले लड़की का श’व दिया गया। 
लोगों का कहना था कि रास्ते में डिलीवरी के बाद फिर सदर अस्पताल में डिलीवरी होने का प्रमाण अंकित कैसे हो गया। यह कहीं ना कहीं स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से पैसे के लालच में अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज किया गया। अस्पताल में भर्ती रजिस्टर पर दो जगह लड़का लिखा हुआ है। चार दिन बाद लड़की का शव दिया जा रहा है। अगर इलाज के दौरान मौत हुई है तो लड़की की हुई है, हमें लड़के का शव नहीं चाहिए। सिविल सर्जन डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है। रजिस्टर पर लड़का लिखा गया है। मामले की जांच की जाएगी। यदि गड़बड़ी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
