मुजफ्फरपुर। बिहार सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से एक साथ दो हित साध रही है। एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण का काम चल रहा है तो दूसरी ओर किसानों को आर्थिक हित का ख्याल रखा जा रहा है। इस योजना से जुड़ने के बाद बिहार के किसान अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के पौधों को अनुदानित दर पर लगा पाते हैं। बाद में यह पौधे जब पेड़ का रूप ले लेते हैं तो वे उसको बेचकर बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं।
अब इस योजना को सरकार की जल जीवन हरियाली योजन से जोड़ दिया गया है। जैसा हमलोग पूर्व में चर्चा कर चुके हैं कि इस योजना के माध्यम से सरकार राज्य में वनाच्छादित हिस्सों को भी बढ़ाना चाह रही है।
जिससे पर्यावरण वन व जलवायु को सुरक्षित रखा जा सके। यदि आप भी इस योजना से जुड़कर लाभ लेना चाह रहे हैं तो यहां हम इस योजना के बारे में तथा पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना से जुड़ने वाले किसानों को सरकार की ओर से स्थानीय पौधशाला से पापलर के पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके साथ ही इसकी देखरेख की व्यवस्था के लिए भी अनुदान उपलब्ध कराए जाते हैं। जब यह पौधा पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है तो इसका लाभ संबंधित किसान को ही मिलता है।
इस तरह से सरकार का दोनों लक्ष्य पूरा हो जाता है। वन विभाग की ओर से खरीदे गए पौधे में से 50 फीसद को तीन साल तक संरक्षित रखने पर सरकार की ओर से प्रति पेड़ 60 रुपये का अनुदान दिया जाता है। यह व्यवस्था तीन साल के लिए होती है। इतना ही नहीं पर्यावरण एवं वन विभाग की ओर से किसानों को पापलर के कटिंग की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है।
