जिसे समझ रहे थे जिंदगी का आशियाना, दरक रही उसकी दीवार….

मधुबनी : बाबूबरही प्रखंड में कमला-बलान पूर्वी व पश्चिमी तटबंध का जीर्णोद्धार शुरू होने से करीब 500 परिवारों के घरों पर संकट है। बाढ़ के दौरान घरों के नदियों में समाहित होने के बाद विस्थापन की पीड़ा झेल रहे इन लोगों को अब बेघर होने की चिंता सता रही है। तटबंध पर मिट्टी भराई और चौड़ाई बढऩे से इनके घर जद में आ रहे हैं।

करीब 50 किमी में मिट्टी भराई से 150 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यहां के अधिकतर लोग मजदूरी करते हैं। उनके आशियाने की दीवार दरक रही है। इसके छिनने के बाद उनके पास कोई आधार नहीं बचेगा। यह स्थिति तब बन रही है, जब दो से ढाई महीने बाद बाढ़ और वर्षा का समय होगा। उन दिनों में कमला-बलान कहर बरपाती है। यहां की करीब ढाई से तीन हजार की आबादी को बेघर होने से बचाने के लिए जिला प्रशासन व सरकार से गुहार लगाई गई है।

अलग-अलग वर्षों में विस्थापित हुए लोग

बाबूबरही के लोग वर्षों से कमला-बलान में आने वाली बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। वर्ष 1965 की बाढ़ में कुछ परिवार बेघर होकर तटबंध पर पहुंचे थे। उसके बाद 1987 में परिवारों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई। अब यह संख्या करीब 500 हो गई है।

कमला-बलान पूर्वी तटबंध के किनारे मुरहदी में करीब 150 परिवारों का वास है। बलाटी में करीब 15 परिवार और सतघारा मुसहरी में 100 परिवार हैं। पश्चिमी तटबंध के किनारे सतघारा के श्याम सिधप में करीब 50, भटगामा में 100 और बक्शाही में 50 परिवारों का आशियाना है।

सुदृढ़ीकरण शुरू होते ही तटबंध के किनारे बसे लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। घर छिनने की आशंका को देखते हुए इन परिवारों के लिए पुनर्वास की मांग की गई है। राम अवतार पासवान व राजेंद्र राम का कहना है कि पहले बाढ़ ने तबाह किया। कोई सहारा नहीं मिला तो तटबंध के किनारे शरण ले ली। यहां से हटाए गए तो कहीं आसरा भी नहीं मिलेगा। अब तो प्रशासन व सरकार से ही अंतिम उम्मीद है।

सुगम यातायात व बाढ़ से राहत दिलाने की योजना

कमला-बलान पर निर्मित पीपराघाट पुल से ठेंगहा पुल तक 80 किमी में तटबंध की ऊंचाई-चौड़ाई बढ़ाने के साथ शीर्ष पर पक्कीकरण किया जाना है। इस पर 282.57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। पहले चरण में मिट्टी भराई का कार्य चल रहा है। अगले साल 23 जून तक योजना पूरी कर लेनी है। इससे मधुबनी के झंझारपुर, लखनौर, बाबूबरही, अंधराठाढ़ी, मधेपुर व राजनगर और दरभंगा के तारडीह व घनश्यामपुर की करीब 12 लाख की आबादी को सुगम यातायात के साथ बाढ़ से भी राहत मिलेगी।

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