पटना। जमीन पर दिखने वाले पक्षियों से अधिक बिहार में जलीय पक्षियों की मौजूदगी है। इन्हें बिहार की आबोहवा खूब भा रही। सूबे के अलग-अलग हिस्से में स्थित चौर, नहर व डैम जलीय पक्षियों के बड़े बसेरे के रूप में सामने आए हैं। बिहार में हुए पक्षी गणना की रिपोर्ट इस महीने आई है। महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कुल 45,173 पक्षियों में 39,937 जलीय पक्षी है।
जलीय पक्षियों की मौजूदगी प्राय: सभी जिलों में है। ऐसे जिले जहां एक हजार से अधिक की संख्या में जलीय पक्षी मिले है उनकी संख्या भी बिहार में कम नहीं। पूर्वी चंपारण के सरोतर लेक में 1,006, सहरसा के बोरा चौर में 1,060, औरंगाबाद स्थित इंद्रपुरी बराज वाले हिस्से में 2,641, भागलपुर के जगतपुर लेक में 1,935, भागलपुर के गंगा प्रसाद लेक में 1,546, बांका के ओढऩी डैम में 1,928, जमुई के नागा-नकटी डैम में 2,430, नकटी डैम में 1,841, जमुई के गढ़ी डैम में 1,140,
गोगाबिल लेक, कटिहार में 4,973 व मुजफ्फरपुर के बतरौलिया चौर में 1,777 जलीय पक्षियों की मौजूदगी मिली है। सबसे पहला नंबर इस संदर्भ में कटिहार के गोगाबिल लेक का है। मगध प्रमंडल के कई जिले ऐसे हैं जहां जलीय पक्षियों की संख्या बहुत कम है। मसलन नवादा के कुलमहादेव डैम में तीन, गया के सीता डैम में 24 जलीय पक्षी मिले है।
पुष्करणी लेक, नालंदा में 29 जलीय जीव मिले हैं। पक्षी जनगणना में यह बात सामने आई है कि जलीय पक्षियों की यहां 80 प्रजातियां मिली हैं।
इनमें लेसर व्हसिलिंग डक, एशियन ओपेन बिल्ड स्ट्रोक, लिटिल कोरमोरैंट, कामन कूट गढ़वाल आदि शामिल हैं। जल से जुड़े पक्षियों की 21 प्रजातियां यहां मिली हैं। इनमें बार्न स्वैलो, डस्की क्रेग मा्च्रिरन, सैंड मार्टिन, व्हाइट थ्रोटेड किंगपिशर आदि हैं। इनकी संख्या 2,271 है।
