उत्तराखंड में पारा चढ़ने के साथ ही जंगल जल रहे हैं। बागेश्वर जिले के जंगल एक महीने सेसुलग रहे हैं। इस बार अप्रैल तक 136 आग की घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि गत वर्ष पूरे फायर सीजन में 184 घटनाएं हुई थी। अभी फायर सीजन का डेढ़ महीना और है। इसी गति से जंगल जलते रहे तो राज्य बनने के बाद आज तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो जाएंगे।

15 फरवरी से 15 जून का समय फायर सीजन का होता है। इस सीजन में जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ जाती है। आग से निपटने के लिए वन विभाग की जिम्मेदारी होती है। इसके लिए विभाग ने जिले में 29 क्रू सेंटर बनाए हैं। इसमें से जौलकांडे सेंटर को मॉडल सेंटर के रूप में विकसित भी किया है।

इसका शुभारंभ कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास ने किया। इसके बाद भी जिले में आग की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। गत वर्ष जहां पूरे सजीन में 184 आग की घटनाएं हुई वहीं इस बार अप्रैल में ही यह आंकड़ा 136 पहुंच गया है। अभी सीजन का डेढ़ महीना और बाकि है। यदि आग लगने की गति यही रही तो सारे रिकॉर्ड इस बार ध्वस्त हो जाएंगे।

आग के कारण पूरे वातावरण में धुंध है। सूरज के किरण तक जमीन पर नहीं पड़ पा रहे हैं। पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण ने सरकार पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार व विभाग को जंगल की आग की चिंता तक नहीं है। सरकार का पूरा ध्यान चम्पावत सीट पर है।

सरकारी मशीनरी का पूरा उपयोग चुनाव में किया जा रहा है। ऐसे में जल, जंगल व जमीन बचना मुश्किल होगा। इधर प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने बताया कि वन कर्मी रात में भी वनों की आग बुझाने में तैनात है। लगातार आग बुझाई जा रही है। इसमें लोगों से भी सहयोग की अपील की।
गांव के पास पहुंची जंगलों की आग
सोमेश्वर। सोमेश्वर क्षेत्र के जैतकोट और काली उडियार के जंगलों में गुरुवार रात भर आग धधकती रही। इसमें लाखों की वन संपदा नष्ट होने के साथ ही वन पंचायतों को भी खासा नुकसान हुआ है। ग्राम झलोली, सर्फ, माला, खीराकोट, खकोली, बैंगनिया और तहसील कार्यालय से सटे जंगलों की आग गांवों के ऊपर पहुंचने से ग्रामीण रात भर दहशत में रहे। वनाग्नि अब भी बेकाबू है। क्षेत्र में गहरी धुंध छाने के कारण लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।