बिहार में शराबबंदी कानून को लगातार सख्त किया जा रहा है। इसी कड़ी में शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने वाले दोषी अभियुक्तों की पहचान कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन्हें किसी भी तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सके।

इस बात की जानकारी मद्य निषेध विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने दी है। मद्य निषेध विभाग के आयुक्त ने दावा किया है कि राज्य में शराबबंदी से जुड़े कांडों के ट्रायल में 3 गुना से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मद्य निषेध आयुक्त ने कहा कि सजा दर भी काफी बढ़ी है।

मार्च में 127 केस का ट्रायल हुआ था जिसमें 84 केस में सजा सुनाई गई वहीं केवल अप्रैल में 400 केस का ट्रायल हुआ है, जिसमें 398 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई है. इसके अलावा 56 लोग दोष मुक्त करार दिए गए हैं। बी कार्तिकेय धनजी ने कहा कि शराबबंदी लागू होने के बाद अभी तक 1लाख 16000 से अधिक मामलों का ट्रायल हो चुका है। इसमें 2372 ट्रायल पूरे किए जा चुके हैं, साथ ही 53 व्यक्तियों को सजा सुनाई गई है। 819 लोगों को न्यायालय द्वारा दोष मुक्त कर दिया गया है।

बिहार के सभी जिले में 14 मई को लोक अदालत भी लगाई जाएगी जिसमें बड़ी संख्या में शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई का निपटारा किया जाएगा। शराबबंदी की धारा-37 के तहत शराब पीने के जुर्म में जेल जाने वाले लोगों की बड़े स्तर पर सुनवाई की योजना बनाई गई है।

उत्पाद आयुक्त ने कहा कि मद्य निषेध और पुलिस विभाग ने 1 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल के बीच राज्य भर में 78,691 छापेमारी की है जिसमें 6834 अभियोग दर्ज किए गए हैं और 9446 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। इस अवधि में करीब साढ़े 3लाख लीटर शराब जब्त की गई है। इस कार्रवाई के दौरान 1279 वाहनों को भी जब्त किया गया है।