खगड़िया में 2.50 लाख में महिला की मौ’त का सौदा:ग’र्भपात कराने पहुंची थी अस्पताल, इलाज के दौरान फटा गर्भाशय; मा’मला र’फा-द’फा करने के लिए दिए रुपए

खगड़िया में तीन माह की गर्भवती महिला की एक नर्सिंग होम में इलाज के दौरान हुई मौत का समझौता ढ़ाई लाख रुपए में किया गया। नर्सिंग होम संचालक और मृतक के परिजनों के बीच हुए इस समझौते में स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित कई लोगों ने बिचौलिए की भूमिका अदा की। इसके बाद गलत इलाज के कारण हुई मौत के मामले को रफा दफा कर दिया गया।

बता दें कि गोगरी अनुमंडल अंतर्गत मड़ैया थाना क्षेत्र के पिपरालतीफ पंचायत के मुनि टोला निवासी विनोद मुनि की 31 वर्षीय पत्नी सोनी देवी तीन माह की गर्भवती थी। जो बीते दिनों अपने परिजनों के साथ मड़ैया स्थित शिव शक्ति अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच कराने पहुंची थी। जहां गर्भपात कराने की सहमति पर अल्ट्रासाउंड सेंटर के कर्मी ने महिला को पास के ही राज आरोग्य सेवा सदन नामक संचालित नर्सिंग होम में ले जाकर गर्भपात करवा दिया।

गर्भपात के बाद महिला की हालत बिगड़ गई। इसके बाद महिला को परबत्ता में मां गंगा हास्पिटल नाम से संचालित दूसरे नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। वहां भी इलाज के दौरान महिला की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कहीं अन्य जगह पर ले जाकर इलाज कराया गया। लेकिन गलत इलाज के कारण उक्त महिला की 10 मई की शाम मौत हो गई। बताया जाता है कि गर्भपात कराने के दौरान महिला का गर्भाशय फट गया था, इसी कारण से महिला की मौत हुई है।

मौत के बाद परिजनों ने काटा था बवाल, पुलिस से समझौता के लिए छोड़ा
महिला की मौत के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए मड़ैया में संचालित नर्सिंग होम के बाहर जमकर बवाल काटना शुरू कर दिया था। आक्रोशितों ने शव को सड़क पर रख मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। तब मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत करा दिया। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने नर्सिंग होम में इलाज के नाम पर चल रहे काला कारोबार के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं नर्सिंग होम संचालक को मैनेज करने के लिए छोड़ दिया।

एक दिन बाद पंचायत कर हुआ समझौता
बताया जाता है कि मामले में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई न हो इसके लिए कुछ वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने पंचायत कर महिला की मौत का सौदा ढ़ाई लाख रुपए में कर दिया। मामले को रफा दफा कर दिया। हालांकि मामले में सिविल सर्जन डॉ अमरनाथ झा से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।

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