मुजफ्फरपुर । माड़ीपुर के अली अकबर की मां को कैंसर था। गरीबी के कारण उनका ठीक से इलाज नहीं करा पा रहे थे। आयुष्मान योजना के तहत कार्ड बनने के बाद उनकी मां का होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर में इलाज चल रहा है। ऐसे सैकड़ों गरीब हैं, जिन्हें योजना के चलते जीवन मिला। कर्ज नहीं लेना पड़ा। जमीन व गहना बिकने से बचा।
अली अकबर बताते हैं कि एक साल पहले मां को इलाज के लिए कोलकाता पहुंचे थे। रिश्तेदारों से कर्ज लेकर जुटाए 60 हजार रुपये वहां खर्च हो गए थे।
आगे के इलाज के लिए चिंता सताने लगी। वहीं आयुष्मान मित्र से योजना के बारे में जानकारी मिली। यहां लौटने के बाद कार्ड बनवा लिया।
सुपौल के चंदेश्वरी पासवान डेढ़ साल पहले उस समय सकते में आ गए थे, जब पता चला कि उनकी पत्नी बे्रस्ट कैंसर से पीडि़त हैं। डाक्टर ने लाखों का खर्च बताया। मुंबई और दिल्ली जाने की सलाह दी गई।
उतने गहने और जमीन भी नहीं थी, जिसे बेचकर इलाज कराता। आयुष्मान योजना की जानकारी मिली तो गोल्डन कार्ड बनवाया।
तीन महीने से होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर में इलाज करा रहे हैं। बहुत सुधार है। उनका कहना है कि कार्ड नहीं रहता तो पत्नी को बचाना संभव नहीं था।
