
PATNA : पटना व नालंदा में बढ़ रहे अपराध को लेकर डीआईजी साहब सख्त हो गये हैं। डीआईजी राजेश कुमार ने सोमवार को पटना सेंट्रल रेंज के सभी डीएसपी को एक नया टास्क दिया है। अब हर महीने उन्हें खुद से एक गिरफ्तारी करनी है। डीआईजी ने कहा कि दफ्तर के चैंबर से बाहर निकलिए और वार्ड में घूमकर अपराधियों पर शिकंजा कसिए। इसके अलावा उन्होंने थाना प्रभारियों पर भी नकेल कसा। डीआईजी ने कहा कि थानों में जितना मामला दर्ज हो रहा है, उससे दुगुने मामले को हर महीने डिस्पोजल करना होगा।

मीटिंग में डीआईजी ने यह भी कहा कि केस डायरी ज्यादा लंबा न लिखें। यह 10 से 15 पेज का ही होना चाहिए। केस डायरी को लेकर कोर्ट में हमेशा पुलिस की फजीहत होती थी। कई बार यह आरोप लगता था कि समय पर केस डायरी पेश नहीं करने के कारण आरोपी को जमानत मिल गयी या फिर केस डायरी के मजमून को लेकर भी पुलिसिया तफ्तीश पर सवाल खड़े होते थे। डीआईजी राजेश कुमार ने पहले भी बेहतर पुलिसिंग के लिए कई बदलाव किए थे। अगस्त महीने में उन्होंने फर्जी केस की रोकथाम के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे। राजेश कुमार ने कहा था कि किसी केस के दर्ज होने के 10 घंटे के बाद काउंटर केस दर्ज नहीं किया जायेगा।
दरअसल पीड़ित पक्ष की तरफ से किसी मामले में केस करने के बाद थाने की तरफ से जांच शुरू कर दी जाती है। इसके दो-तीन दिनों बाद अभियुक्त पक्ष की तरफ से भी पीड़ित पक्ष पर केस दर्ज कर दिया जाता है लेकिन अब डीआईजी के इस आदेश के बाद किसी केस में 10 घंटे के बाद अभियुक्त पक्ष मामला दर्ज नहीं करा पायेगा। अभियुक्त पक्ष की तरफ से केस दर्ज करने के पीछे मुख्य वजह यही रहती थी कि पीड़ित पक्ष पर सुलह के लिए दबाव बनाया जा सके। इसी बिंदु को देखते हुए पटना पुलिस ने ये बड़ा फैसला किया है। यह आदेश पटना और नालंदा जिला में लागू कर दिया गया है।
