शिवहर। बागमती की मचलती धारा शिवहर में हर साल तबाही मचाती है। सबसे ज्यादा क्षति बेलवा-नरकटिया इलाके में होती है। नदी की उफनाती धारा के साथ गांव में हर ओर बर्बादी का दृश्य दिखता है। बीते दो दिनों की बारिश और नदी में हल्की उफान ने किनारे बसे लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
महिलाओं और ब’चों को रिश्तेदारों के घर पहुंचाने की तैयारी चल रही है तो नाव और मचान भी बनाए जा रहे। अनाज-पानी सहेजे जा रहे हैं। पिछले साल बेलवा में निर्माणाधीन डैम का सुरक्षात्मक तटबंध तीन बार टूटा था। इससे गांव में पानी भर गया था। इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही बन रही है।
दूसरी ओर, बेलवा घाट से पूर्वी चंपारण के देवापुर तक तीन किमी भाग में बागमती नदी में तटबंध नहीं होने से यह इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आता है। जल संसाधन विभाग ने जिले के डेढ़ किमी भाग में तटबंध निर्माण की स्वीकृति तो दी है, लेकिन निर्माण प्रक्रिया टेंडर से आगे नहीं बढ़ सकी।
इसका खामियाजा लोगों को इस बार भी भुगतना पड़ सकता है। तटबंध के अभाव में नदी में उफान होने पर आधा दर्जन गांवों में पानी घुस जाएगा। बेलवा के योगेंद्र सहनी बताते हैं कि जब तक बांध नहीं बनेगा, हम बहते रहेंगे। गांव में रहने की मजबूरी है। यहीं के जोता सहनी का कहना है कि यह वर्षों की पीड़ा है। अब सिस्टम की चेतना जगी है तो डैम बन रहा है।

