8 वर्षों से बेटे को पेड़ से बांध अपनी बदनसीबी पर आंसू बहाती है मां; जानिए पूरा मामला

बिहार के गोपालगंज जिले के सिधवलिया थाने का सलेमपुर घाट गांव। गांव के जनार्धन प्रसाद का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। तंगी इतनी की अपने मानसिक रूप से बीमार बेटे आकाश कुमार का इलाज भी नहीं करा सकते। नतीजतन वह कहीं घर से बाहर न चला जाए, इसलिए उसे रस्सी से पेड़ में बांध कर रखा जाता है।

यह कोई एक दिन की बात नहीं है। पिछले आठ वर्षों से जानवरों की तरह रस्सी से पेड़ में बांधकर परिवार के सदस्य मजबूरी में अपने कलेजे के टुकड़े को रखते हैं। रस्सी खोल भी दिया जाता है तो वह कहीं न कहीं चला जाता है।

कभी प्लास्टिक खाने लगता है तो कभी घास-भूसे। यही कारण है कि परिवार के सदस्य उसे रस्सी से पेड़ से बांध कर रखते हैं। अपने ‘लाल’ की स्थिति को देखकर उसकी मां सिंधू हर रोज अपनी बदनसीबी पर आंसू बहाती है।

बेटे को पेड़ से बंधा देखकर उसका कलेजा बाहर आ जाता है। लेकिन, आर्थिक तंगी के कारण वह हर रोज अपने बेटे को देखकर आंसू बहाती नजर आती है। आकाश अपने माता-पिता का इकलौता संतान तो नहीं है, लेकिन वह सबसे बड़ा है। बेटे के जन्म के बाद उसके माता-पिता को लगा कि वह उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा।

परिजनों ने बताया कि पांच वर्ष की उम्र के बाद आकाश को बुखार आया। इलाज कराया गया। इलाज के दौरान उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी और व मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया। उसके अलावे उसका पांच वर्षीय भाई सत्यम, चार वर्षीय बहन तन्नू व एक वर्षीय भाई पीयूष भी है।

दो जून की रोटी जुटाना है मुश्किल

आकाश का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। परिवार में दो जून का भोजन जुटाना मुश्किल है। ऐसे में समुचित इलाज कराना संभव नहीं है। उसके परिवार के अलावा उसके अंधे वृद्ध नाना वशिष्ट पटेल व नानी प्रभावती देवी भी उसी के घर रहती है। इनकी परवरिश करने का जिम्मा भी उसके पिता के कंधों पर है। अकेले मजदूरी कर आठ सदस्यों के परिवार का खर्च चलाना मुश्किल है।

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