मुजफ्फरपुर लीचीः मा’री जा रही किसानों की कमाई, एयरपोर्ट से दूसरी शिफ्ट में नहीं भेजी जा रही लीची

डिमांड के बावजूद देश के महानगरों में मुजफ्फरपुर की शाही लीची नहीं पहुंच पा रही है। दरभंगा एयरपोर्ट से लीची बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे, मुंबई व दिल्ली तक नहीं पहुंच पा रही है। इससे किसानों की कमाई मारी जा रही है। सुरक्षा कारणों से दरभंगा एयरपोर्ट प्रबंधन दूसरी शिफ्ट में लीची ढुलाई से हाथ खड़े कर रहा है। अब संघ के माध्यम से किसान नागरिक उड्डन मंत्रालय व स्थानीय सांसद से हस्तक्षेप की मांग कर रहे है।

12 टन की जगह 2 टन लीची भेजी जा रही

दरभंगा एयरपोर्ट से रोजाना छह शहरों के लिए 12 फ्लाइट से लीची भेजने की योजना है। रोजाना 12 टन लीची दरभंगा एयरपोर्ट से भेजनी है, लेकिन अब महज मुश्किल से एक से दो टन लीची फ्लाइट से भेजी जा रही है। 20 मई को दरभंगा एयरपोर्ट से लीची भेजने की शुरुआत हुई। सुबह दस से दोपहर 12 और दोपहर 12 से दो बजे के बीच दो शिफ्ट में 12 टन लीची भेजे जाने की सहमति किसानों, व्यवसायियों व एयरपोर्ट प्रबंधन के बीच बनी।

सुबह वाली शिफ्ट में लीची जा रही है, लेकिन दोपहर वाली शिफ्ट में लीची नहीं भेजी जा पा रही है। अधिकारी व कर्मी सुरक्षा मंजूरी के अभाव में दूसरी शिफ्ट में लीची भेजने से हाथ खड़े कर रहे हैं जबकि मुजफ्फरपुर के किसान व व्यवसायी को दूसरी शिफ्ट में लीची भेजने में सहूलियत होती है।

सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण हो रही परेशानी

बड़ा रनवे होने से दरभंगा एयरपोर्ट को माल ढुलाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। पटना की तुलना में दरभंगा एयरपोर्ट का रनवे बड़ा है। इसलिए किसानों की पहल पर दरभंगा एयरपोर्ट से लीची ढुलाई की सुविधा शुरू की गई। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण दरभंगा एयरपोर्ट से दूसरी शिफ्ट में लीची नहीं भेजी जा रही है।

संघ ने रोजाना छह टन लीची भेजने का करार किया था। इसके बावजूद एयरपोर्ट से सप्ताह भर से लीची नहीं भेज पा रहे हैं। दरभंगा एयरपोर्ट के निदेशक मनीष कुमार ने बताया कि वह अभी अवकाश पर हैं। ड्यूटी पर लौटने पर मामले की जानकारी लेंगे।

मुंबई में आठ घंटे तक पार्सल वैन में पड़ी रह जाती लीची

मुजफ्फरपुर से पवन एक्सप्रेस की पार्सल वैन से रोजाना करीब 1800 कार्टन लीची मुंबई भेजी जा रही है। पवन एक्सप्रेस रात साढ़े 12 बजे मुंबई के एलटीटी जंक्शन पर पहुंचती है। वहां पार्सल वैन का लॉक खोलने में आठ घंटे का समय लग जाता है। इस कारण लीची समय पर मुंबई की मंडी तक नहीं पहुंच जाती है। लीची व्यवसायी ब्रज किशोर बताते हैं कि समय पर मंडी तक लीची नहीं पहुंचने से क्षति हो रही है।

 

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