मुजफ्फरपुर । इस बरसात शहर के उत्तरी पूर्वी भाग में स्थित एक दर्जन वार्डो का डूबना तय है। एक लाख की आबादी जलजमाव के भीषण संकट की ओर बढ़ रही है। कारण बेला आउटलेट बारिश का पानी निकालने में अक्षम है। बिहार आधारभूत संरचना निगम की सुस्त चाल से मिठनपुरा-दिघरा ड्रेनेज का काम इस साल भी पूरा नहीं हो पाया है।
वहीं अतिक्रमण एवं नाले में कचरा डालने से कमरा मुहल्ला स्लूस गेट आउटलेट से जलनिकासी बाधित है। निगम प्रशासन फरदो नाला की उड़ाही पर जितना ध्यान दे रही उतना इन आउटलेटों पर नहीं। ऐसे में भारी बारिश होने पर बेला, मिठनपुरा, राम बाग, चंदवारा, बालूघाट समेत दो दर्जन से अधिक मुहल्ले टापू बन जाएंगे।
शहर के उत्तरी भाग का पानी निकालने के लिए फरदो नाले से जोड़ते हुए कल्याणी, चपरापुल, गरीब स्थान, गोलाबांध रोड होकर बालूघाट में कमरा मुहल्ला स्लूस गेट तक नाला का निर्माण कराया गया था।
इस नाले की मदद से शहर के आधा दर्जन वार्डो, यथा वार्ड 21, 22, 16, 17, 18 एवं 19, स्थित एक बड़े भू-भाग का पानी बूढ़ी गंडक नदी में गिराया जाता था। बाद में लोगों ने धीरे-धीरे नाले का अतिक्रमण कर लिया। कल्याणी से चपरा पुल तक नाला का पूरी तरह से कचरा भरकर समाप्त कर दिया।
गरीब स्थान से स्लूस गेट तक नाला संकीर्ण हो चुका है। नगर आयुक्त नाला का निरीक्षण कर स्वयं हालात से अवगत हो चुके हैं। इसके बावजूद इस आउटलेट को खोलने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। ऐसे में बाबा गरीबनाथ मंदिर, परती टोला, बालूघाट समेत कई मुहल्ले प्रभावित होंगे।
