भारतीय मरीजों के दस्तावेज ऑनलाइन दवाओं की बिक्री करने वाली कंपनियां विदेश नहीं भेज सकेंगी। इन कंपनियों को मरीजों के प्रिस्क्रिपशन के साथ-साथ तमाम चिकित्सीय रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में भारत में ही सुरक्षित रखना होगा। ये नियम सरकार ने ऑनलाइन दवाओं की बिक्री को लेकर तैयार मसौदे में शामिल किया है। इस अंतिम मसौदे को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो मसौदे में सरकार ने कई अहम बिंदुओं को शामिल किया है, जिसमें एंटीबायोटिक्स, शेड्यूल एच1 और एक्स के तहत आने वाली दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई है। साथ ही दवाओं का ऑनलाइन ऑर्डर करते वक्त डिलीवरी के लिए समय बताना जरूरी किया है, ताकि उक्त ऑनलाइन दवा कंपनी उसी समयावधि में दवा डिलीवर कर सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, चिकित्सीय क्षेत्र में ई-फार्मेसी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आया है, लेकिन इसे लेकर सतर्कता भी अत्यंत जरूरी है, इसलिए मसौदे में प्रिस्क्रिपशन पर लिखी सभी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई है। शेड्यूल एच1 और एक्स के तहत आने वाली दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को गैरकानूनी रखा है। एंटीबायोटिक्स दवाएं किसी भी हाल में ऑनलाइन नहीं बिक सकेंगी।

ऑनलाइन दवा ऑर्डर करने से पहले मरीज को अपना प्रिस्क्रिपशन और रिपोर्ट इत्यादि अपलोड करनी होगी। एक संयुक्त निदेशक ने बताया कि जिन दवाओं को वेबसाइट्स के जरिये मंगाया जा सकेगा, उनकी सूची भी संबंधित वेबसाइट को बतानी होगी। इसके बाद पूरा पता देने के साथ ही दवाओं की डिलीवरी का समय निर्धारित करना होगा।
दवा डिलीवर होने के बाद उक्त कंपनी का प्रतिनिधि फीडबैक भी मरीज से लेगा। इसके बाद उक्त मरीज के अपलोड दस्तावेज को कंपनी को साइबर सुरक्षा अधिनियम के तहत भारत में ही डिजिटल रूप में सुरक्षित रखना होगा। उनका कहना है कि अगले कुछ माह में ये कानून देश में लागू होगा।