पटना-5 के ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार ने 10 साल की सरकारी नौकरी में गजब की तरक्की की। अब तक तीन जिलों में नौकरी करते हुए करीब 20 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति बना ली। इसका खुलासा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की हुई छापेमारी में हुआ। पटना-5 के तहत पटना स्टेशन से लेकर अगमकुआं तक के मेडिकल शॉप आते हैं। इनमें से कई ऐसे मेडिकल शॉप हैं, जहां कई प्रकार के खेल चलते हैं। सूत्र बताते हैं कि सब कुछ जानने के बाद भी ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार इन पर मेहरबान रहे। इसके एवज में उन्हें हर महीने तय रकम मिल जाया करती थी।

यह बात निगरानी की जांच के दरम्यान भी सामने आई है। मगर, सबसे बड़ा खेल जितेंद्र कुमार फार्मासिस्ट की डिग्री में कर रहे थे। निगरानी के अनुसार, गया में स्थित बिहार कॉलेज ऑफ फार्मेसी में जितेंद्र कुमार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में मेंबर हैं। पर सूत्र का दावा है कि वो कॉलेज उनका अपना है। इस कॉलेज के जरिए उन्होंने बड़े स्तर पर अवैध कमाई की। जो लोग फार्मासिस्ट बनने के पैमाने को पूरा नहीं कर पा रहे थे, उन्हें भी मोटी रकम लेकर डिग्री दी गई। हर एक डिग्री के लिए 5 लाख या इससे अधिक का खेल हुआ है।

उम्मीद से कहीं ज्यादा लगा हाथ
भ्रष्टाचार कर काली कमाई करने के मामले में ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार का नाम टॉप लिस्ट में था। निगरानी के एक अधिकारी के अनुसार, करीब 6 महीने पहले इनके काले कारनामों के बारे में पहली बार पता चला था। तब एक टीम बनाई गई। फिर इनकी कुंडली को खंगालने के लिए टीम को लगाया गया। काफी सारे सबूत जुटाए गए। पटना के सुल्तानगंज में जितेंद्र कुमार का घर है। इस घर के साथ ही इनके 4 ठिकानों पर छापेमारी 25 जून की सुबह 9 बजे से शुरू हुई थी, जो देर रात 1 बजे तक चली। निगरानी की यह कार्रवाई लगातार 13 घंटे तक चली। इस दरम्यान जो खुलासे हुए, वो चौंकाने वाले थे।

छापेमारी करने गए निगरानी के अधिकारियों तक को पता नहीं था कि वहां उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा मिलने वाला है। निगरानी ने जितेंद्र कुमार के खिलाफ 1 करोड़ 59 लाख 21 हजार 651 रुपए की आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। मगर, जब छापेमारी हुई तो उसमें इनके घर से 4 करोड़ 11 लाख 79 हजार 700 रुपए कैश मिले।

जब निगरानी ने FIR की तो उनके पास जितेंद्र कुमार की तरफ से अर्जित किए गए 5 संपत्तियों की ही डिटेल्स थी। मगर, छापेमारी के दरम्यान उससे कहीं अधिक, अलग-अलग प्रॉपर्टी के कुल 22 डीड के पेपर मिले। जो कुल मिलाकर 27 हो गए। इन प्रॉपर्टी की कीमत करोड़ों में है। इन सब के अलावा 36.48 लाख का सोना और 1.66 लाख की चांदी मिली थी। अब टीम इनके 8 बैंक अकाउंट्स को खंगाल रही है। यहां से भी काफी बड़े स्तर पर कैश मिलने की संभावना है।

जितेंद्र कुमार को दिया नोटिस
जिस वक्त जितेंद्र कुमार के ठिकानों पर निगरानी की टीम छापेमारी कर रही थी, उस दरम्यान वो नहीं मिले। न वो अपने घर पर मौजूद थे और न ही सरकारी या प्राइवेट ऑफिस में। सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके पास इतने बड़े स्तर पर कैश में रुपए कहां से आए? करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी कहां से खरीदी? जबकि, 10 साल में उनकी सैलरी कुल 60 लाख रुपए ही रही।

निगरानी का दावा है कि जितेंद्र कुमार के पास इनकम का कोई दूसरा जरिया नहीं है। फिर सवाल ये है कि सरकारी नौकरी करते हुए उन्होंने कैसे अकूत संपत्ति अर्जित की? उनकी पत्नी भी हाउस वाइफ हैं। इनके पास भी इनकम का कोई जरिया नहीं है। निगरानी की तरफ से जितेंद्र को एक नोटिस भी दिया गया है। दूसरी तरफ, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो इस मामले की एक डिटेल रिपोर्ट हेल्थ डिपार्टमेंट को भेजेगी।