बिहार में मेहनत पर राजवनीति गर्म है। केंद्रीय मंत्री पद छोड़ने के बाद आरसीपी ने कहा कि जो पाया मेहनत से पाया। चाहे वो प्रशासनिक पद हो, राज्यसभा सांसद, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष या फिर केंद्र में मंत्री का पद हो। अब जेडीयू को ये बात रास नहीं आई है। पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद ने आरसीपी सिंह को खरी-खोटी सुना दी।

कभी जेडीयू के पावर सेंटर रहे आरसीपी सिंह ने जैसे ही केंद्रीय मंत्री पद छोड़ा उनके खिलाफ पार्टी ने मुहिम छेड़ दी है। हालांकि, आरसीपी सिंह ने यह जरूर कहा कि वह जदयू के सच्चे सिपाही हैं और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहेंगे।

लगे हाथों उन्होंने यह भी कह दिया कि जो कुछ उन्होंने अब तक पाया है वह अपनी मेहनत के बदौलत पाया है। उन्होंने सब का श्रेय खुद को दे दिया और कहा कि उन्होंने मेहनत के बदौलत सब कुछ पाया है। यह बात जेडीयू नेताओं को पसंद नहीं आ रही है। खासतौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इस बात से काफी खफा है। तभी तो जेडीयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने आरसीपी सिंह को खरी-खोटी सुना दी।

हमेशा पार्टी की मजबूती के लिए काम किया- आरसीपी
आरसीपी सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर गुरुवार को दिल्ली से पटना पहुंचे। उन्होंने कहा वो जदयू पार्टी को मजबूत करने में अपना योगदान देंगे। पार्टी से नये युवाओं को जोड़ेगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी को और आगे तक ले जाएंगे। आरसीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने खुद अपने परिश्रम और ताकत से अपनी पहचान बनायी है। वे सीधे आदमी हैं और हमेशा सीधा चलते है।

जेडीयू को मजबूत बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सभी साथियों ने भी पार्टी के लिए मजबूती से काम किया है। उन्होंने कहा कि जहां तक उनकी भूमिका की बात है तो वे 2010 में राज्यसभा का सदस्य बने। उसी समय उन्हें पार्टी का महासचिव भी बनाया गया। आगे चलकर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना। बीच में पार्टी का महासचिव संगठन भी रहा। पिछले एक साल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कृपा से देश में केंन्द्रीय मंत्री भी रहा।

जो मिला नीतीश जी के आर्शीवाद से मिला- निषाद
अब ये बात जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को रास नही आई। जदयू के तरफ प्रवक्ता अरविंद निषाद ने मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा RCP सिंह को यह कबूल करना चाहिए कि मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृपा से राज्य सभा में नामित हुआ, जदयू राष्ट्रीय महा सचिव संगठन एवं जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष बना। मनुष्य को अहंकार में नहीं बल्कि ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए के मैंने जो भी पद प्राप्त किया वह माननीय नीतीश कुमार के कृपा से बने।

हां, यह जरूर आपने किया कि राज्य सभा से लेकर जदयू के सांगठनिक पद तक माननीय नीतीश कुमार की कृपा से बने। यह भी सच है कि आप केन्द्रीय मंत्री अपनी मर्जी से बने न कि अपने ईमानदारी और परिश्रम एवं संघर्ष के बदौलत।आपकी सांगठनिक ताकत का दु:खद एहसास तो हर जदयू कार्यकर्त्ता को है कि आपने जदयू को 2015 में जदयू के विधायकों की संख्या 71 थी, वहीं 2020 में आपने 43 पर पहुंचा दिया ।