बिहार शरीफ के दक्षिण-पूर्व कोने पर स्थित पिसत्ता घाट पर बाबा मणिराम की समाधि है। बिहार की यह पहली समाधि है जहां लंगोट अर्पित किया जाता है। बाबा की समाधि पर हर साल आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के दिन से सात दिवसीय मेला लगता है। सात दिन तक दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाकर मन्नतें मांगते हैं। मान्यता यह कि जो भक्त सच्चे मन से यहां पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी मनोवांछित मनोकामनाएं जरूरी पूरी होती हैं।
इस बार 13 जुलाई से लंगोट मेला शुरू हो रहा है। तैयारी अंतिम चरण में है। मेले में आने वाले बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के झूले लगाए जा रहे हैं। महिलाओं के लिए शृंगार की दुकानें सज रही हैं। मिठाई, गोलपप्पे, चाट-पकौड़े भी मेले में मिलेंगे। उमड़ने वाली भीड़ पर कैमरे से नजर रखी जाएगी।
बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के सचिव अमरकांत भारती बताते हैं कि 6 जुलाई 1952 को बाबा मणिराम के समाधि स्थल पर लंगोट मेले की शुरुआत हुई थी।

इसके पहले रामनवमी के मौके पर श्रद्धालु बाबा की समाधि पर पूजा-अर्चना करने आते थे। बाद में आषाढ़ गुरु पूर्णिमा से मेले की शुरुआत होने लगी। बाबा के दरबार में नारायणी भोजन की परंपरा भी अनूठी है। खिचड़ी, पापड़, चोखा, अचार का प्रसाद श्रद्धालुओं को ग्रहण कराया जाता है।
बाबा मनीराम के दरबार में बिहार ही नहीं बल्कि देश की कई हस्तियां पहुंच चुकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, बाबू जगजीवन राम, लालकृष्ण आडवाणी, के अलावे कई मर्तबा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाबा के दरबार में आकर मन्नत मांग चुके हैं।
