बाबा बैद्यनाथ धाम अपने आप में एक बड़ा रहस्य है। यहां एक बड़ा रहस्य पंजों के थापा यानी छाप लगाने का भी है। छाप का रहस्य मनोकामना से जुड़ा है, क्योंकि बाबा बैद्यनाथ को मनोकामना ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। गर्भ गृह के बाहर बाएं तरफ जहां बाबा पर अर्पित जल की निकासी होती है, ठीक बगल में धरनाधारी है। धरनाधारी में ही रहस्य की दीवार है, जो हाथों की छाप से भरी है।
पंडा धर्मरक्षिणी समाज के उपाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं कि बाबा बैद्यनाथ धाम का रहस्य आज तक कोई जान नहीं पाया है। यहां सब कुछ बाबा की मर्जी से होता है। बाबा के गर्भ गृह में प्रवेश करने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है, वह जो चाहता है। बाबा बैद्यनाथ काे हृदयापीठ कहा जाता है क्योंकि यहां मां सती का हृदय गिरा था और वहीं बाबा स्थापित हैं। ऐसे में यहां भक्तों की भीड़ के पीछे भी मनोकामना पूरी होने का रहस्य है।
धरनाधारी का दीवार भी ऐसा ही एक रहस्य है, जिसका महिमा अभी तक ज्ञात नहीं है। यहां से मांगी गई मन्नत कभी खाली नहीं जाती है। कहा जाता है कि श्रद्धालु इस चमत्कारी दीवार के पास से जो भी श्रद्धा व विश्वास से मांगते हैं, वह हर हाल में पूरा हो जाता है।
मनोज कुमार मिश्रा ने बताया, ‘धरनाधारी की चमत्कारी दीवार पर माथा टेकने से ही मनोकामना पूरी होती है। प्राचीन परंपरा के मुताबिक इस दीवार पर दही और हल्दी को हाथ में पोत लिया जाता है और फिर मनोकामना की कामना करते हुए दीवार पर 3 बार दोनों हाथों के उल्टे पंजों से थापा दिया जाता है। दीवार पर थापा देने के दौरान हर बार हाथ दीवार पर ही रखकर बाबा से मुराद मांगी जाती है।
इसके बाद जब मुराद पूरी हो जाती है तो बाबा मंदिर के उसी चमत्कारी दीवार पर दोनों हाथों के सीधा पंजों से से 3 बार थाप देना होता है। दीवार पर हाथों के सीधा पंजों के निशान से पता चल जाता है कि लाखों लोगों की मनोकामना बाबा कैसे पूरी कर रहे हैं। सावधान के पूर्व तैयारी में सफेद रंग से पेंट की गई पूरी दीवार सावन के बाद हाथ के पंजों की थाप से रंगीन हो जाती है।’
