बाबा बैद्यनाथ को छूते ही भक्त भूल जाते हैं मुरादें:मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं को आता है गु’स्सा

बाबा बैद्यनाथ धाम के कई बड़े रहस्य हैं। यह रहस्य इतने गहरे हैं कि आज तक इसका पता नहीं चल पाया है। भक्त अपने घर से मंदिर के लिए निकलते वक्त मुरादें मन में लेकर आते हैं। शिवलिंग को छूते ही वो अपनी मुरादें भूल जाते हैं। मंदिर के अंदर गुस्सा और बिना बात के झुंझलाहट होने लगती है। बाबा बैद्यनाथ खुद भक्तों की परीक्षा लेते हैं। जो इसमें पास हो जाता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।

बाबा बैद्यनाथ धाम।

बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने की प्रथा
द्वादश ज्योतिर्लिंग में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऐसा है, जहां माता सती के हृदय में बाबा विराजमान है। मां के हृदय पर बाबा के विराजमान होने से इस ज्योतिर्लिंग को हृदयापीठ कहा जाता है। यह ज्योतिर्लिंग मनोकामना लिंग के नाम से प्रख्यात है।पुराणों में इसका जिक्र है कि मां सती का हृदय देवघर में ही गिरा था, रावण जब शिवलिंग लेकर लंका जा रहा था तो देवताओं की चाल से उसे शिवलिंग उसी स्थान पर रखना पड़ा जहां माता का हृदय गिरा था। बाद में रावण ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह हिला तक नहीं।

रावण देवताओं की इस चाल पर काफी क्रोधित हुआ और शिवलिंग को पाताल में पहुंचाने के उद्देश्य से हाथ के अंगूठे से दबा दिया। इस कारण से शिव लिंग धरती के सतह से थोड़ा अंदर चला गया है। रावण के बाद देवताओं ने भी शिवलिंग की उपासना की जिसके बाद भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इसकी पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होगी।इसके बाद बाबा धाम मनोकामना ज्यातिर्लिंग से प्रख्यात हो गया। मान्यता है कि गर्भ गृह में बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने वाले की मनोकामना हर हाल में पूरी होती है।

ध्यान भटका तो भूल जाती है कामना
पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं कि बाबा के दरबार में आकर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। देरी हो सकती है, लेकिन मुराद खाली नहीं जाती है। बाबा के रहस्य को लेकर मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं कि बाबा लोगों की परीक्षा भी खूब लेते हैं।पूजा अर्चना के दौरान मन एकाग्र-चित नहीं रखने वालों के साथ अक्सर यह दिक्कत आती है। वह मंदिर के बाहर बाबा से मुराद मांगते रहता है, लेकिन जब मंदिर के अंदर गर्भ गृह में पहुंचता है और बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने की बारी आती है तो वह मनोकामना ही भूल जाता है।

पंडा समाज भी इस रहस्य को आज तक नहीं जान पाया। आखिर जो इंसान बाबा के दर्शन के दौरान लगातार मन्नत सोचता रहता है, वह गर्भ गृह में आकर बाबा को स्पर्श करते क्यों भूल जाता है। पंडा और देवघर के पुजारियों का कहना है कि यह सब बाबा की माया है।कोई ऐसे रहस्य को नहीं समझ पाता है कि क्यों ऐसा होता है। लेकिन ऐसे भी लोग हैं। पंडा समाज का कहना है कि श्रद्धालु ऐसा महसूस करते हैं, हालांकि दर्शन करने वाले अक्सर इस बात पर गौर नहीं कर पाते हैं। पंडा समाज का कहना है कि बाबा की परीक्षा का एक पार्ट यह भी है, ऐसे में श्रद्धालुओं को बताया जाता है कि वह ध्यान एकाग्र-चित करके बाबा की उपासना को जाएं।

रावण के कारण होती है झुंझलाहट

पंडा समाज के लोग बाबा मंदिर से जुड़े एक और रहस्य बताते हैं। पंडा समाज का कहना है कि मंदिर में अक्सर श्रद्धालुओं को झुंझलाहट या गुस्सा आ जाता है। पंडा धर्मरक्षिणी समाज के उपाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं कि बैद्यनाथ ज्योतिर्लिण रावण द्वारा स्थापित किया गया है, इस कारण से इस कारण से इसे रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

बाबा बैद्यनाथ धाम में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़।

पंडा समाज का कहना है कि चूंकि रावण शिवलिंग को स्थापित करने के दौरान क्रोधित हुआ था और भगवान शंकर पर काफी झुंझलाया था। इस कारण से गर्भ गृह में आज भी वह असर भक्तों और श्रद्धालुओं में दिखाई पड़ता है। मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के दौरान भक्तों को उलझन और झुंझलाहट महसूस होती है। पंडा समाज के लोग इसके पीछे रावण के आक्रोश को ही बड़ा कारण बताते हुए एक रहस्य मानते हैं।

रहस्य के बीच बाबा की परीक्षा

पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष संजय कुमार मिश्रा बताते हैं कि बाबा की माया रावण भी नहीं भांप पाया, आम लोगों की तो कोई बात ही नहीं है। बाबा हर किसी को मुंह मांगी मुराद देते हैं, लेकिन बाबा के प्रति सच्ची भक्ति दिखानी होती है। बाबा को एक लोटा जल ही दिया जाता है, लेकिन उसमें पूरी तरह से शुद्धता पवित्रता और आस्था व विश्वास होना चाहिए। बाबा परीक्षा लेते हैं, परीक्षा में पास होने वालों की किस्मत रातों रात बदल जाती है।

बाबा के द्वार पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है क्योंकि बाबा की उपासना के साथ मां यानी शक्ति की भी उपासना होती है। मनोकामना ज्योतिर्लिंग से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पंडा संजय मिश्रा का भी मानना है कि बाबा को स्पर्श करने के दौरान मुराद भूल जाना और मंदिर में झुंझलाहट होना एक रहस्य है। यह एक परीक्षा भी है। पंडा समाज का कहना है कि बाबा के दरबार में हर मनोकामना पूरी होती है, स्पर्श करके मांगी गई मुराद तो किस्मत बदलने वाली होती है।

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