सीतामढ़ी में पिता ने जमीन बेचकर बेटी को बनाया दारोगा:बचपन से दरोगा बनना चाहती थी मौसमी

सीतामढ़ी जिले को एक बेटी ने अपने परिवार का सम्मान बढ़ाया है। दरअसल, रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के गांव मानिक चौक गांव की रहने वाली मौसमी ने अपने गांव में इसिहास रचा है। संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में पली-बढ़ी बेटी मौसमी कुमारी ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास की। परिवार के माली हालत खराब होने पर भी पिता देवनाथ प्रसाद ने बेटी का हौसला टूटने नहीं दिया और अपनी जमीन बेचकर पटना में उसकी तैयारी कराते रहे। हालांकि प्रथमवार में मौसमी को सफलता नहीं मिली। हाइट के वजह से मौसमी छट गई थी।

बचपन से दरोगा बनना चाहती थी मौसमी, फिल्मों से मिली दरोगा बनने की प्रेरणा |  Father sold land in Sitamarhi and made daughter a police officer, Moushumi  wanted to become a inspector

दरोगा के परीक्षा की चार साल से तैयारी कर रही थी। इसका बचपन से ही दरोगा बनने का सपना था। दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि वह हिंदी फिल्मों में लेडीज पुलिस को देखती थी। और तबसे ही उसे दरोगा बनने का सपना था, लेकिन वह अपने परिवार की हालात को देख अकाउंट पढ़ने लगी। गांव में लोग भी कहने लगे की दरोगा बनने में 15-20 लाख रुपया लगता है। जिसके वजह से भी वह पीछे हट रही थी। लेकिन पिता ने उसे हिम्मत दिया तो वह एसआई के परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

मौसमी अपने गांव के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई की। मोरसंड हाईस्कूल से इंटर पास की है। गोयनका कॉलेज से बैचलर डिग्री ली। उसके बाद से वह पटना में रहकर पढ़ाई कर रही थी। बताया जाता है कि मौसमी के दादा स्वर्गीय रामश्रेष्ट प्रसाद बिहार सरकार में वेलफेयर इंस्पेक्टर थे। उसने इस सफलता का श्रेय अपने पिता देवनाथ प्रसाद और अपने चचेरे बड़े भाई संजीत कुमार को दिया।पिता कठिन परिस्थितियों में साथ खड़ा रहे जबकि बड़े भाई के रूप में उसके भाई ने मार्गदर्शन दिया।

मौसमी के पिता घर में ही छोटी सी दुकानदारी से परिवार चलाते हैं।मां पूनम देवी गृहणी हैं।मौसमी के पिता ने कहा की उनकी पत्नी बेटी के शादी का जोर देती थी। लेकिन बेटी का सपना था दरोगा बनने का। उसने कहा जबतक दरोगा नही बनती तबतक वह शादी नही करेगी।मौसमी चार भाई बहनों में सबसे बड़ी है।इकलौता भाई सबसे छोटा है। अभी तीनो पढ़ाई कर रहे है।छोटी बहन प्रियंका ने कहा को वह भी अब दरोगा बनना चाहती है।

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