पटना ; महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे बिहार में हीरो बन गए हैं। पटना में सिलेंडर ब्लास्ट की घटना में झुलसे एक ही परिवार के 4 सदस्यों को महाराष्ट्र एयर लिफ्ट कराने वाले CM शिंदे की बिहार में खूब चर्चा हो रही है। शिंदे ने पटना में 1978 से रह रहे मराठी परिवार की मदद नहीं की होती तो शायद 4 लोगों की जान नहीं बचती।बड़ी बात ये है कि 11 करोड़ की आबादी वाले बिहार में एक भी बर्न हॉस्पिटल नहीं है। झुलसे लोगों को यहां के हॉस्पिटल एडमिट नहीं कर रहे थे। आइए जानते हैं पटना में कैसे हुई दुर्घटना और इलाज के लिए भटक रहे परिवार को दो एयर एंबुलेंस भेजकर महाराष्ट्र के सीएम ने कैसे बचाई उनकी जान।

लाइट का स्विच ऑफ करते ही हो गया धमाका
पटना के बाकरगंज में अमोल जाधव का 3 मंजिला मकान है। दुकान से आने के बाद हर दिन की तरह 14 जुलाई की रात वह खाना खाने के बाद 11 बजे सो गए। घर की दूसरी मंजिल के पहले कमरे में अमोल जाधव और उनकी पत्नी रोहिणी अमोल जाधव सो रहे थे। उसके बाद के कमरे में बेटी (लिपिका अमोल जाधव) और बेटा (संग्राम अमोल जाधव) सो रहे थे। उनके कमरे के बाद किचन और टॉयलेट है।

रात लगभग दो बजे रोहिणी जाधव की नींद खुली और वह वॉशरूम गईं। वह फिर सोने जा रही थीं, इस दौरान किचन की लाइट जैसे ही ऑफ किया तो तेज धमाका हो गया। इस घटना में घर के खिड़की-दरवाजे सब उड़ गए और परिवार के सभी 4 सदस्य गंभीर रूप से झुलस गए। आसपास के घर भी दहल गए। देर रात में पूरी भीड़ लग गई।
इलाज के लिए भटकता रहा परिवार
सिलेंडर विस्फोट में गंभीर रूप से झुलसे लोगों को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद बर्न मरीजों के लिए व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर रेफर कर दिया गया। पीड़ितों को अपोलो हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वहां भी वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहर भर्ती नहीं किया गया।

झुलसे मरीजों को लेकर घंटों लोग पटना में इलाज के लिए भटकते रहे। इस दौर पुणे में रह रहे अमोल जाधव के भाई डॉक्टर किरण जाधव ने पारस हॉस्पिटल में बात की और किसी तरह से वहां भर्ती कराया। पारस में भी बर्न के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन प्रारंभिक इलाज किया जा रहा था।

एकनाथ शिंदे बन गए फरिश्ता
डॉ. किरण जाधव का कहना है कि घटना के बाद वह पुणे से पटना के लिए निकल गए। 15 जुलाई की सुबह पटना पहुंच गए और 10.40 लाख में एयर एंबुलेंस बुक करके अपनी भारी को रोहिणी जाधव को पुणे के सूर्या हॉस्पिटल में पहुंचाया। एयर एंबुलेंस एक साथ दो मरीजों को नहीं ले गया। पटना एयरपोर्ट ने भी ऐसा करने से आपत्ति जता दी। ऐसे में बाकी बचे 3 घायलों के लिए 3 बार एयर एंबुलेंस ले जाने की बात कही गई।

डॉ.किरण का कहना है कि वह परेशान हो गए। उन्हें लगा कि वह अपने भाई और उनके परिवार के सदस्यों की जान नहीं बचा पाएंगे। डॉ. किरण जाधव पटना में व्यवस्था में जुटे थे, इस बीच 16 जुलाई की रात लगभग 11.30 बजे अचानक उनके मोबाइल पर फोन आया और लाइन पर महाराष्ट्र के सीएम थे।

सीएम एकनाथ शिंदे ने पूरी घटना समझी और वादा किया कि 17 जुलाई की सुबह मरीजों को महाराष्ट्र एयर लिफ्ट करा दिया जाएगा। डॉ. किरण का कहना है कि सरकारी खर्चे पर एयर एंबुलेंस नहीं मिला तो सीएम ने प्राइवेट खर्च पर दो बार पटना में एयर एंबुलेंस भेजा और घायलों को पुणे के सूर्या हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया।
पीड़ित परिवार ने कहा- शिंदे हीरो हैं, भगवान बनकर जान बचाई
डॉ. किरण जाधव का कहना है कि वह सीएम को जानते तक नहीं है। पटना में इलाज के लिए भटक रहे थे। मदद भी लोगों से मांग रहे थे, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही थी। बिना मदद मांगे ही सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने खर्चे से प्राइवेट एयर एंबुलेंस भेजा और उनके परिवार के सदस्यों की जान बचाई।

डॉ. किरण का कहना है कि शिंदे हीरो हैं, वह महाराष्ट्र ही नहीं बिहार में भी हीरो बन गए हैं। भगवान बनकर जान बचाने वाले सीएम ने एक मिसाल पेश की है। बिहार सरकार को इस गंभीर मामले में गंभीर होना चाहिए और 11 करोड़ की आबादी पर कम से कम एक ऐसा बर्न हॉस्पिटल बनाना चाहिए, जिससे जलने वालों का इलाज बिहार में हो जाए।
ऐसे सीएम शिंदे तक पहुंची बात
डॉ. किरण जाधव के दूर के रिश्तेदार का परिचित महाराष्ट्र सीएम हाउस में काम करता है। उसने यह बात सीएम के पीए से बताई। पीए ने एकनाथ शिंदे को इसकी जानकारी दी। तब जाकर मदद मिल सकी।

1978 से पटना में रहा रहा परिवार
40 साल के अमोल जाधव पटना के बाकरगंज के नागेश्वदर कॉलोनी में रहते हैं। अमोल के पिता 1978 में ही महाराष्ट्र से पटना आ गए और बाकरगंज में ही ज्वेलरी का काम करने लगे। पिता की मौत के बाद अमोल ने कारोबार संभाल लिया। अमोल के भाई डॉ. किरण जाधव भी पटना में ही रहकर पढ़े हैं, मौजूदा समय में वह महाराष्ट्र के पुणे में 50 बेड का हॉस्पिटल चलाते हैं।