शिवहर का देकुली धाम मंदिर:यहां लाक्षागृह में छिपकर पांडवों ने बचाई थी जान, सावन में उमड़ती है हजारों की भीड़

शिवहर और सीतामढ़ी जिले में सावन महीने के दूसरी सोमवारी को लेकर भक्तो का उत्साह चरम पर है। विभिन्न मठ मंदिरों में जलाभिषेक को लेकर भक्तो की भीड़ जुट रही है। और आज हम कहानी बता रहे है देकुली धाम की, जो शिवहर जिला मुख्यालय से पूरब करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर शिवहर-सीतामढ़ी मार्ग स्थित बागमती नदी के तट पर देकुली धाम मंदिर स्थापित है। जिसमें बाबा भूवनेश्वर नाथ महादेव का अदभूत शिव लिंग है।

यह स्थल साधु संतों की तप स्थलों में भी एक माना जाता है। कहते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई लोगों की हर मन्नतें बाबा भूवनेश्वर नाथ अवश्य पूरी करते हैं। भोले नाथ के इस स्थल पर श्रावण मास के अतिरिक्त हर माह के रविवार एवं सोमवार को विशेष रूप से पूजा अर्चना को लेकर भीड़ उमड़ती है।

श्रावण मास के प्रारंभ होते हीं यहां नेपाल व पड़ोसी जिला मोतिहारी, सीतामढ़ी, दरभंगा व मुजफ्फरपुर से लोग पूजा अर्चना को लेकर पहुंच रहे हैं। बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। बताते हैं कि यह एक ऐतिहासिक महत्व वाला स्वंभू प्रकट्य शिव हैं। वहीं ऐसी मान्यता है कि देकुली धाम का यह स्थल महाभारत कालीन राजा द्रुपद का गढ़ था। साथ हीं द्रौपदी का स्वयंवर यहीं हुआ था। जहां अर्जुन ने लक्ष्य भेदन कर द्रौपदी को जीता था।

साथ हीं मा कुंती के समक्ष प्रस्तुत किया था। वहीं एक मत के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पाडवों ने इसी रास्ते लाक्षागृह से बाहर निकलकर अपनी जान बचाई थी। मान्यताओं में यह भी है कि भगवान श्रीराम के विवाह के लिए जनकपुर मिथिला नरेश राजा जनक के घर जा रही बारात ने यहां पर विश्राम भी किया था। सावन महीना आते ही आसपास में सैकड़ों की संख्या में दुकानें और मेले सजाए जाते हैं। हालाकी हर महीने देकुली धाम में रविवार और सोमवार को मेला लगाई जाती है।

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