बिहार बोर्ड पर हाईकोर्ट ने लगाया 15 लाख का जु’र्माना, कहा- 2 छात्रों का सुनहरा दौर ख’राब कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों पर बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद सर्टिफिकेट नहीं दिये जाने के मामले पर सुनवाई के बाद एक केस में दस लाख तथा दूसरे में पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने नवादा जिला के आदर्श हायर सेकेंडरी की छात्रा सरस्वती कुमारी तथा बेगूसराय के बीकेएसकेएस इंटर कॉलेज के छात्र गौरी शंकर शर्मा की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद जुर्माना लगाया।

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कोर्ट ने कहा कि किसी भी छात्र का गोल्डन पीरियड इंटर परीक्षा पास करने के बाद शुरू होता है। 2012 में इंटर साइंस का परीक्षा देने के बाद बोर्ड आठ साल बाद 2020 में प्रथम श्रेणी से पास का रिजल्ट घोषित किया। वहीं, दूसरे केस में फर्स्ट डिवीजन से मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद बोर्ड ने अंकपत्र तथा सर्टिफिकेट रोक लिया क्योंकि स्कूल ने रजिस्ट्रेशन फीस बोर्ड के पास जमा नहीं किया था। इस कारण बोर्ड ने छात्रों का रिजल्ट स्कूल में नहीं भेजा और छात्र अपना रिजल्ट नहीं ले पाए जबकि बोर्ड छात्रों का रिजल्ट तैयार कर अपने पास रखे हुए था।

कोर्ट का कहना था कि बोर्ड के रिकॉर्ड के तहत छात्रों का सर्टिफिकेट 2016 में ही तैयार कर लिया गया था और प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर 2019 में किया गया। तब से बोर्ड अपने पास रखे हुए है जो किसी भी तरह से जायज नहीं है। छात्र ने जीवन के महत्वपूर्ण छह साल ऐसे ही गंवा दिये। कोर्ट ने बोर्ड पर पांच लाख जुर्माना लगाते हुए छात्र को देने का आदेश दिया।

छात्रा के जीवन का सुनहरा दौर खराब
कोर्ट ने कहा कि बोर्ड की सुस्ती से एक छात्रा के जीवन का सुनहरा दौर खराब हो गया। बच्ची का रिजल्ट घोषित नहीं किया गया। समय-समय पर दिए गए अभ्यावेदन पर भी ध्यान नहीं दिया गया। कोर्ट ने दस लाख रुपये छात्र को अनुकरणीय मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि यह राशि भी पर्याप्त नहीं है क्योंकि उसका पूरा भविष्य व्यर्थ चला गया है।

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