2 साल की उम्र से सूरज के जीवन में है अंधेरा, मगर रोशनी की तलाश में एक पांव से हर रोज जाता है स्कूल

जमुई के सिकंदरा इलाके के गोखुला फतेहपुर पंचायत के गौहर नगर गांव का सूरज होनहार और पढ़ने-लिखने में लगनशील छात्र है. एक पैर और एक हाथ से ही अपनी जिंदगी संवारने में जुटा है. सूरज अपनी अपंगता को भुलाकर नौवीं में पढ़ रहा है. सूरज पढ़ लिखकर शिक्षक बनना चाहता है. सूरज पढ़ाई के लिए हर दिन घर से तीन किलोमीटर की दूरी तय कर या तो एक पैर से उछल-उछाल कर या फिर दोस्त का सहयोग लेकर उसकी साइकिल पर बैठकर स्कूल जाता है.

 हौसले की मिसाल बने इस दिव्यांग छात्र ने एक पैर के सहारे उछल-उछल कर स्कूल जाते हुए 8वीं तक पढ़ाई बगल के गांव के खुटखट मिडिल स्कूल में 1 किलोमीटर पैदल जाकर पूरी की. दरअसल, सूरज दो साल की उम्र में ही पोलियो के कारण अपना दायां पैर और दायां हाथ गवां चुका है. लेकिन, शरीर में कमजोर माने जाने वाला बायां पैर और बाएं हाथ को ही सूरज ने मजबूती का ढाल बनाया. 

हौसले की मिसाल बने इस दिव्यांग छात्र ने एक पैर के सहारे उछल-उछल कर स्कूल जाते हुए 8वीं तक पढ़ाई बगल के गांव के खुटखट मिडिल स्कूल में 1 किलोमीटर पैदल जाकर पूरी की. दरअसल, सूरज दो साल की उम्र में ही पोलियो के कारण अपना दायां पैर और दायां हाथ गवां चुका है. लेकिन, शरीर में कमजोर माने जाने वाला बायां पैर और बाएं हाथ को ही सूरज ने मजबूती का ढाल बनाया.

इस अपंग छात्र के पिता भुनेश्वर यादव की चार साल पहले पैरालिसिस के तीन अटैक आने के बाद मौत हो चुकी है. इस होनहार का एक बड़ा भाई और दो बहन है. पति की मौत के बाद इसकी मां को परिवार चलाने में ही काफी परेशानी होती है. उसमें बच्चों को पढ़ाना कितना मुश्किल है कोई भी अंदाजा लगा सकता है. लेकिन, फिर भी किसी तरह अपने सभी बच्चो को शिक्षा दिला काबिल बनाना चाहती है. शारीरिक अपंगता के बाद भी सूरज में पढ़ाई करने की जिद गरीब मां को बल दिया जिसने अपंग बच्चे का नामांकन गांव से दूर लछुआड़ के झाड़ो सिंह पालो सिंह प्लस टू हाई स्कूल में करवा दिया.

सूरज का कहना है कि एक पैर से स्कूल जाने में परेशानी होती है, लेकिन स्कूल जाने में दोस्त मदद कर देते हैं. पढ़ लिखकर शिक्षक बनना है, किसी पर बोझ नहीं बनूं इसीलिए पढ़ना चाहता हूं. इस छात्र की मां ललिता देवी ने बताया कि 2 साल की उम्र में ही इसका दायां हाथ और पैर बेकार हो गया, फिर भी इसके पढ़ने की जिद के कारण वह एक पैर पर स्कूल जाकर पढ़ते गया, आज नवीं में पढ़ रहा है. इसे मदद मिल जाती तो उसके मेहनत को बल मिलता.

पंचायत के मुखिया भूषण यादव और जिस स्कूल में यह अपंग पढ़ाई कर रहा है. उसके शिक्षक वीरेंद्र मिश्रा का कहना है कि पढ़ाई लिखाई के प्रति लगन शारीरिक अक्षमता के बावजूद एक पैर पर स्कूल आना और बाएं हाथ की अच्छी लिखावट से पढ़ाई करना बाकी और बच्चों को भी सीख देती है.

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