10 साल पहले अ’गवा हुई लड़की परिवार से मिली:घर से सिर्फ 500 मीटर दूर थी, लेकिन पता नहीं चला

साल 2013, जनवरी का महीना। 22 तारीख को स्कूल जाते समय 7 साल की बच्ची को किसी ने अगवा कर लिया। घरवालों ने बहुत खोजा, पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई। पुलिस ने सालों-साल बच्ची की खोज की, लेकिन उसका पता नहीं चला। इस दौरान सरकारी रिकॉर्ड में उसकी पहचान मिसिंग गर्ल नंबर 166 बनकर रह गई।

2013 में पूजा के लापता होने के बाद उसके परिवार वालों ने मिसिंग पोस्टर्स लगवाए थे, जिन्हें इंटरनेट पर देखकर 16 साल की पूजा को अपने अगवा होने का वाकया याद आया।

साल 2022 में वह बच्ची 16 साल की हो गई। उसे अपने परिवार से अलग हुए 9 साल हो गए थे। मुंबई के अंधेरी पश्चिम इलाके में वह अपने घर से 500 मीटर दूर ही रह रही थी, लेकिन उसे इस बात की खबर नहीं थी। आखिरकार, 4 अगस्त 2022 को रात 8:20 बजे वह अपने परिवार से मिली।ये कहानी 9 साल तक अपनी पहचान से जूझती रही एक बच्ची की है। एक आदमी ने संतान की चाह में उसे स्कूल के रास्ते से अगवा कर लिया। जब उस आदमी का अपना बच्चा हुआ, तो लड़की से नौकरानी जैसा काम कराने लगा। आरोपी की पत्नी लड़की से मारपीट भी करती। इसी दौरान आरोपी ने नशे में कह दिया कि वह उनकी संतान नहीं है, बल्कि उसे उठाकर लाए थे।

9 साल पहले स्कूल के पास से अगवा किया
मुंबई की सात साल की पूजा गौड़ 22 जनवरी 2013 को अपने भाई के साथ स्कूल जा रही थी। इसी दौरान भाई-बहन में पॉकेट मनी को लेकर झगड़ा हुआ। आरोपी जोसेफ डिसूजा ने स्कूल के पास लड़की को भटकते हुए देखा। वह और उसकी बीवी सोनी लंबे समय से संतान के लिए तरस रहे थे। उसने बच्ची को अगवा कर लिया।

सजा के डर से पूजा को कर्नाटक भेज दिया था
पुलिस की छानबीन शुरू होने के बाद मीडिया ने भी मामले को रिपोर्ट करना शुरू किया और स्थानीय लोगों ने पूजा को ढूंढ़ने का कैंपेन चलाया। आरोपी डिसूजा को डर था कि अगर बच्ची को ढूंढ़ लिया गया, तो उसके और उसकी पत्नी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। उसने पूजा को कर्नाटक के रायचूर में एक हॉस्टल में रहने भेज दिया।

अपना बच्चा हुआ तो बेबी सिटिंग कराने लगे
2016 में डिसूजा और सोनी के घर बच्चा पैदा हुआ। दो बच्चों का खर्च उठाने में दिक्कत आने के बाद डिसूजा ने पूजा को कर्नाटक से वापस बुला लिया। उन्होंने उसे बेबी सिटिंग के काम पर लगा दिया। उन्होंने अपना घर भी बदल लिया। वे लोग अंधेरी (पश्चिम) के उसी गिल्बर्ट हिल इलाके में आकर रहने लगे, जहां पूजा का असली घर था।

​​​​​डीएन नगर के सीनियर इंस्पेक्टर मिलिंद कुर्दे ने बताया कि डिसूजा को लगा था कि लड़की के बड़े हो जाने के चलते उसे कोई पहचान नहीं पाएगा। उसके ‘गुमशुदा की तलाश’ वाले पोस्टर्स भी हट चुके थे। उन्होंने लड़की से भी कह दिया था कि इलाके में किसी से बात न करे।पूजा के अंकल ने बताया कि डिसूजा की पत्नी सोनी उसे मारती-पीटती थी। डिसूजा शराब के नशे में उसे कहता था कि 2013 में उसे कहीं से उठा लाया था। इस बात से पूजा को समझ आया कि वे दोनों उसके माता-पिता नहीं हैं, लेकिन वह उन दोनों से इतना डरती थी कि उसे समझ नहीं आता था वहां से कैसे भागे।

गूगल पर पुराने आर्टिकल से खुद को पहचाना
जिस घर में पूजा 7 महीने से बेबी सिटर के तौर पर काम कर रही थी, वहां की हाउस हेल्प ने पूजा की मदद की। पूजा की कहानी सुनने के बाद हाउस हेल्प ने गूगल पर लड़की का नाम, मिसिंग और डिसूजा नाम डालकर सर्च किया, जिससे उस समय लड़की को ढूंढ़ने के कैंपेन से जुड़े आर्टिकल मिले।पूजा के अंकल ने बताया कि उन आर्टिकल्स में अपनी तस्वीर देखने के बाद पूजा को सब कुछ याद आ गया। उसे अपना घर भी याद आ गया, जो पास ही था। पूजा को एक मिसिंग पोस्टर पर पांच फोन नंबर मिले। उसमें से चार काम नहीं कर रहे थे, लेकिन पांचवां नंबर पड़ोस में रहने वाले रफीक का था। वह नंबर काम कर रहा था।

वीडियो कॉल ने परिवार से मिलाया
रफीक ने फोन उठाया, तो पहले तो उसे शक हुआ। फिर उसने सबूत के तौर पर पूजा का फोटो मांगा। गुरुवार सुबह पूजा ने हाउस हेल्प की मदद से वीडियो कॉल किया, जिसका रफीक ने स्क्रीनशॉट लेकर पूजा की मां और अंकल को दिखाया। तस्वीर में पूजा को देखकर दोनों के आंसू निकल पड़े।पूजा के परिवार ने उसके काम करने की जगह की डिटेल्स निकालीं और डीएन नगर पुलिस स्टेशन को सूचना दी। जब पुलिस वहां पहुंची तो पूजा जिस बच्चे की बेबी सिटिंग करती थी, उसे घुमाने का बहाना करके नीचे आई। रात 8.20 बजे पूजा और उसकी मां 9 साल बाद मिले।

डिसूजा पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस
पुलिस ने डिसूजा दंपति के खिलाफ अपहरण, मानव तस्करी, गैर-कानूनी मजदूरी कराने समेत कई सेक्शंस में मामला दर्ज किया है। हैरी डिसूजा को पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है, जबकि उसकी पत्नी सोनी को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि उनकी छह साल की बच्ची की देखभाल के लिए कोई और मौजूद नहीं है। पुलिस फिलहाल 16 साल की पूजा का मेडिकल टेस्ट करा रही है। उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाएगा, इसके बाद उसे उसके परिवार को सौंपा जाएगा। पुलिस ने एक टीम कर्नाटक भी भेजी है, ताकि वहां पूजा को कहां रखा गया था इसकी सटीक जानकारी मिल सके।

 

वो पुलिसवाला जिसने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी

 

 

जब बच्ची स्कूल के बाद घर नहीं पहुंची, तो परिवार ने डीएन नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पूजा के लापता होने का मामला सबसे पहले असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर राजेंद्र धोंडू भोसले के पास आया। वे 2008 से 2015 के बीच गायब हुई 166 लड़कियों को ढूंढ़ने में लगे थे। 2015 में रिटायर होने तक उन्होंने 165 लड़कियों को ढूंढ़ निकाला था।पूजा मिसिंग गर्ल नंबर 166 थी, जिसे उन्होंने रिटायर होने के 7 साल बाद तक ढूंढ़ना जारी रखा। पूजा के मिलने के बाद उन्होंने कहा कि आप पुलिसवाले के तौर पर रिटायर हो सकते हैं, लेकिन इंसानियत रिटायरमेंट के साथ खत्म नहीं हो जाती है। वह आपके मरते दम तक रहती है। एक बच्ची को खोने का दर्द अगर आप नहीं समझ सकते तो आप इंसान नहीं हैं।

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